ये हैं मेरी दिल की व्यथाएं
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ब्राह्मण ने ब्राह्मण की पीड़ा, ब्राम्हण बन ना थाह लगायी।
जिसने सर्वस्व हमारा लूटा नजरें उसे पहचान न पायीं ।।
ये हैं मेरी -- जिनके साथी बने रहे हम
रश्में वे भी निभ ना पायीं ।
मिले अन्न,घर, वस्त्र हमें भी, चाह हमारी उन्हें न भायी ।।
ये हैं मेरी --
थे हमने भी स्वप्निल पलकों पर सुखद भविष्य के स्वप्न सजाए।
आंख खुली सब बिखर गए, व्यर्थ हुआ दिन साथ बिताए।।
ये हैं मेरी----
बीते दिन की बात अब छोड़ चलो आगे बढ़ जाएं।
अब ब्राम्हण एकजुट यहां हों, एक नया इतिहास बनाएं।।
ये हैं मेरी------
हम पीढ़ियों के लिए मिल-जुल अवसरवादी को सबक सिखाएं।
गर है "विवेक" जब साथ हमारे चलो जो खोए सब हम पाएं।।
ये हैं मेरी दिल की व्यथाएं।।
डॉक्टर विवेकानंद मिश्र
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा
आवास ---डॉक्टर विवेकानंद पथ, गोल बगीचा, गया बिहार
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