मानवीय आदर्श की जीवंत मूर्ति --- जगद्गुरु स्वामी शैलेंद्र भारती।
तप त्याग सेवा की मूर्ति,
जीवन मंत्र सरल था ।
हे ! जगद्गुरु तेरी काया में,
भरा अपरिमित बल था।।
तू मानवता के महा पुजारी,
राष्ट्रहित जीवन अर्पित था।
जो भी साधा लक्ष्य हृदय से,
होता न था विस्मृत तुमसे।।
भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा के संरक्षक जगद्गुरु स्वामी शैलेंद्र भारती को जानना अपने आप में एक उपलब्धि हो सकती है। लेकिन उससे भी अधिक उपलब्धि उनसे निकट परिचय प्राप्त कर उनसे कुछ सीखना असीम धैर्य संयम लग्न श्रम साहस तक त्याग और उत्साह के साथ प्रतिकूल परिस्थितियों में बुलंदी से सामना करना।मैंने बड़े ही करीब से देखा है चुकी इनकी विशेष कृपा पात्रों में मैं भी एक था। एक बार जो भी व्यक्ति उनके सम्मुख आ जाता बस जीवन भर इनके बन के रह जाता था। वे सबके अपने थे सबका हित और कल्याण चाहते थे।।
समाज के प्रति उनका दृष्टिकोण व्यवहारिक रहा है कि युग की परिस्थितियों पर दूरगामी चिंतन करने वाले और समाज को सही दिशा में ले जाने वाले स्वामी जी का संपूर्ण जीवन है संघर्षशील रहा है आज भी सूक्ष्म रूप से और भी ताकतवर बनकर हम सबों को प्रेरित करते रहते हैं । "यह अमर है"
मैं इनके चरण कमलों पर श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं --डॉ विवेकानंद मिश्र
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा,डॉक्टर विवेकानंद पथ गोल बगीचा गया।दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
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