बस वही मिले
--:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
मुझे जिंदगी में,
बहुत लोग मिले
पर सबके सब-
बस वही मिले।।
मिले बड़े से बड़े,
और छोटे से छोटे।
पर वक्त पर सब
उलट दिए गोटे।
दिखा हवाई किले।।
बस वही मिले।।
बड़े बड़े लोगों ने,
झोले टंगवाये।
छोटे-छोटे लोग-
अंगुठा दिखाये।
चेहरे खिले खिले।।
बस वही मिले।।
जब अपनी जरूरत थी,
किसीको न फुर्सत थी।
अपना ख्याल रखना-
शख्त हिदायत थी।
चाहे जैसे जी ले।।
बस वही मिले।।
कुछ बीच वाले भी मिले
कुछ तुनक मिजाज रंगीले।
कुछ थे अक्ल के दुश्मन-
तो कुछ बिल्कुल गांठ के ढीले।।
एकदम बालू के टीले।
बस वही मिले।।
वलिदाद अरवल (बिहार)
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