कण कण में भगवान हैं।
कण कण में भगवान हैं।
तू नाच रहा बंदर की तरह।
और नचा रहे भगवान हैं।
तेरे दाएं खड़े भगवान हैं।
तेरे बाएं खड़े भगवान हैं।
तेरे आगे खड़े भगवान हैं।
तेरे पीछे खड़े भगवान हैं।
तेरे ऊपर भी भगवान हैं।
तेरे नीचे भी भगवान हैं।
यहां भी खड़े भगवान हैं।
वहां भी खड़े भगवान हैं।
सूरज में भी भगवान हैं।
और चांद में भगवान हैं।
तारों में वही भगवान हैं।
पर्वत में भी भगवान हैं।
सागर में भी भगवान हैं।
नदियों में भी भगवान हैं।
मिट्टी में भी भगवान हैं।
बालू में भी भगवान हैं।
वृक्षों में वही भगवान हैं।
सब जीवों में भगवान हैं।
पुरुषों में भी भगवान हैं।
हर नारी में भगवान हैं।
तू नाच रहा बंदर की तरह।
और नचा रहे भगवान हैं।
कण कण में भगवान हैं।
कण कण में भगवान हैं।
कृष्ण बल्लभ शर्मा 'योगीराज'
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