पापा के साये में चलकर
पापा के साये में चलकर, मन्जिल को पा लेते हैं,
धूप घनी या राह में कांटे, आगे बढ़ते जाते हैं।
लग जाये जो ठोकर पग में, पापा हमें संभालेंगे,
विश्वासों का सम्बल लेकर, ध्वज गगन फहराते हैं।
चिन्तित जब भी चिन्ताओं से, पापा कहते 'मैं हूं ना',
कुरूक्षेत्र में अर्जुन विचलित, कान्हा कहते 'मै हूं ना'।
जब जब संकट मानवता पर, हुई धर्म हानि जग में,
तब तब हुये अवतरित भगवन, विष्णु कहते 'मै हूं ना''।
अ कीर्ति वर्द्धन
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com