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कर्मो का ईनाम

कर्मो का ईनाम

         ~ डॉ रवि शंकर मिश्र "राकेश"
             *****

हे स्वनामधन्य  मानवता के कातिलों, 
दसकों तक तेरा कुकर्म सरेआम रहा, 
अब तक तो मद्यहोश थे  सब लोग, 
काली कमाई से तिजोरी भरता रहा l

सोंचे हो कभी क्या तेरा अंजाम होगा ? 
तिरस्कार ही तेरे कर्मो का ईनाम होगा ll

गुमराह किया लोगों को आपस में बांट के, 
अबैध,बसूली चलता रहा मेले और हाट के, 
करबाता चाकरी सभी लोगों को डांट के, 
बंगला,गाड़ी,बैंकबैलेंस जीवन कटा ठाट के, 

तेरे कर्मो का लेखा जोखा सरेआम होगा l
तिरस्कार ही तेरे कर्मो का ईनाम होगा ll

अबतो एक एक हिसाब चुकता करना होगा, 
पंचायत में बैठकर नाक खुब रगड़नी होगी, 
गधे पर घुमायेंगे, कुर्ता-टोपी होगा टाट के l
लोग चेहरे पर थूकेंगे,रहोगे घर के न घाट के l

बता तेरे कर्मो का और क्या परिणाम होगा? 
तिरस्कार ही तेरे कर्मो का  ईनाम होगा ll 
            
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