लेखक
दर्द जहां का लिख सकता हूं, शब्दों में,
अर्थ दर्द का लिख सकता हूं, शब्दों में।
खुद का दर्द सुनाऊं किसको, सभी दुखी,
हमको दर्द रहित सब समझें, शब्दों में।
मेरे आंसू मेरी आहें, सबको झूठी लगती,
मेरी झूठी सच्ची बातें, सबको सच्ची लगती।
दिल चीर कर दर्द दिखाना, जब जब चाहा,
दर्द भरी मेरी आहें भी, सबको नौटंकी लगती।
लेखक बनना भी इस जग में, आसान कहां है,
अपने हिस्से का सच लिखना, आसान कहां है?
झूठ फरेब मक्कारी से भरी हुई इस दुनिया में,
सच को सच सच लिखना, आसान कहां है?
अ कीर्ति वर्द्धन
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com