सकारात्मक सोच को अपनाइए

सकारात्मक सोच को अपनाइए

सकारात्मक सोच को अपनाइए,
चाय ताजा बन रही आ जाइए।
साथ में बिस्कुट और मठरियां भी,
बात कुछ सुनिए अपनी सुनाइए।

मौन का भी अपना महत्व है,
साधना मन की होती गहन है।
टूटते झरते हैं पात पीत हो गये,
अंकुरित कुछ हो रहा सृजन है।

गुम हुआ जो खोजती निगाहें हैं,
सोच कर दर्द को भरती आहें हैं।
देखिए कुदरत को मुस्कुरा रही वो,
प्रकृति से जीवन की सम्भावनायें हैं।

अ कीर्ति वर्द्धन
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ