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यह कैसा कहर है , यह कैसा कहर है ?

यह कैसा कहर है , यह कैसा कहर है ?

यह कैसा कहर है, यह कैसा कहर है ?
वीरान हो रही गलियां और शहर है,
 यह कैसा कहर है यह कैसा कहर है?
खड़ी है इमारतें गलियां है सुनसान
 चहल पहल में तो है श्मशान |

यह कैसा कहर है , यह कैसा कहर है ?
वीरान हो रहे गलियां और शहर है |

सांसो का तोल मोल हो रहा है 

चारों तरफ 10-20 का खेल हो रहा है ,
लकड़ी खत्म है जिस्म को जलाने के लिए .
जगह कम है शरीर दफनाने के लिए |

यह कैसा कहर है यह कैसा कहर है, 
वीरान हो रही गलियां और शहर है ,
जाग जाओ सोए हो क्यों |

अपने ही धुन में खोए हो क्यों है ,
ईश्वर अब इतना है काफी,
 दे दो अपने प्यारों को माफी |

यह कैसा कहर है यह कैसा कहर है, 
विरान हो रही गलियां और शहर है ,
इंसानियत मानवता संस्कार संस्कृति भूल गए थे |

हम बस अपनी धुन धन में खोए थे ,
हम यह कैसा कहर है यह कैसा कहर है ,
विरान हो रही गलियां और शहर है ,
धन हो इतना कि तिजोरी भर ले अपना ,
आज न धन काम आ रहा और ना चलाकी ,
लाश बनकर चढ रही जिंदगी अरमानों की पालकी|

 यह कैसा कहर है यह कैसा कहर है,
 विरान हो रही गलियां और शहर है,
 हे ईश्वर मान गया तेरी सत्ता को |

अब और ना सजा दे अपनी जनता को ,
क्षमा कर दे हर गुनाहों को |

स्वीकार कर ले मेरी हर दुआओं को, 
यह कैसा कहर है यह कैसा कहर है, 
विरान हो रहे गलियां और शहर है|

कुमार अमित, रामजयपाल नगर रोड बेली रोड दानापुर  पटना बिहार|
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