पटना की प्राचीनतम सड़क, जिसे लोग अशोक राजपथ के नाम से जानते हैं- अपने आप में ही एक धरोहर है।
पटना जिला सुधार समिति के महासचिव राकेश कपूर ने बतायाकि विश्व धरोहर दिवस के अवसर शहर की बौद्धिक महिलाओं की एक संस्था आयाम ने विडियो कान्फ्रेस के माध्यम से अशोक राजपथ पर बिहार सरकार द्वारा प्रस्तावित ओवरब्रिज के निर्माण को लेकर एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इस कार्यक्रम में प्रख्यात इतिहासकार प्रो.इम्तियाज अहमद, हिंदी की सुप्रसिद्ध लेखिका उषा किरण खान और म्यूजियम के पूर्व निदेशक उमेश द्विवेदी ने भाग लिया। एंकर ज्योति स्पर्श थी।
इस परिचर्चा में अशोक राजपथ पर प्रस्तावित फ्लाईओवर के फलस्वरूप तोड़ी जाने वाली ऐतिहासिक विरासतों की चर्चा की गई। वैसे देखा जाए तो इस अशोक राजपथ के उत्तर में ही सभी ऐतिहासिक इमारतें हैं, क्योंकि यह शहर गंगा के किनारे बसा हुआ है। इसका विस्तार दक्षिण की ओर हुआ। बढ़ती आबादी के कारण इस सड़क पर नित्य लगने वाली सड़क जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए सरकार ने कारगिल चौक से इंजीनियरिंग कॉलेज तक फ्लाईओवर को मूर्त रूप देने का निर्णय लिया है, जो मूर्खतापूर्ण लगता है।
वस्तुतः सड़क जाम की समस्या इंजीनियरिंग कॉलेज से पटना सिटी जाने वाले सडक पर ज्यादा गंभीर है न कि गाँधी मैंदान से इंजीनियरिंग कालेज तक। जाम से निजात दिलाने की यह योजना सिर्फ लूट की योजना नजर आती है। सरकार सही में इस सड़क से जाम की समस्या से जनता को निजात दिलाना चाहती है तो अशोक राजपथ पर बिहार सरकार के पथ निर्माण विभाग की जितनी जमीने हैं, उसे अतिक्रमण मुक्त करा कर इस सड़क के उत्तरी व दक्षिणी छोड़ पर बहने वाले नालों के दोनों छोड़ पर चार से पांच फीट जमीन लेकर पार पथ बना दिया जाये तो जाम की समस्या खत्म हो जायेगी।
सरकार उत्तर की बजाय दक्षिण दिशा में लोगों को मुआवजा देकर जमीन अधिग्रहित कर फ्लाईओवर का निर्माण करती है तो ऐतिहासिक विरासतों को तोड़ने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
वैसे पटना शहर में मठ-मंदिर व वफ्फ की संपत्ति भी धरोहर है, जिसे असमाजिक तत्वों ने अपने कब्जे में ले रखा है। पटना सिटी स्थित चाणक्य गुफा जैसे कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जिन्हें अतिक्रमण मुक्त कर बचाया जा सकता है।
वास्तव में देखा जाए तो जमीन के अन्दर के धरोहरों की तो पटना में कभी खोज हुई ही नहीं। और जो धरोहर जमीन के उपर है, उसे भी सरकार नष्ट करने पर आमदा है, जो दुर्भाग्य पूर्ण है।
यह विरासत अपनी है। इसे बचाने में सहयोग करें।
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