कामनाओं की ज्वाला (कविता)

कामनाओं की ज्वाला से-
जो लोग जल रहे हैं रोज,
और बडे व्यग्र होकर-
सब कर रहे हैं
शांति की खोज,
उनके लिए जगह है तीन
जिनके सपने हैं छिन्न-भिन्न
उन्हें चाहिए कि-
वे लें इसका आश्रय
मिटाने को संशय
पहला है अपत्य
जो भावी को करता है आश्वस्त
दूसरी है अर्द्धांगिनी
जो आह्लादित करती है मन
बन प्रेयसी भुवन मोहिनी
और तीसरी है सज्जनों की संगती
जो मिटाती है दुर्गति
और जिन लोगों को
यहां भी नहीं मिलती है शांति
उनके जीवन में होती है भ्रांति
--:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
वलिदाद अरवल (बिहार)
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