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भविष्य बनाओ

भविष्य बनाओ (कविता)

अब रोओ मत,

अपने भूत को याद कर?
बल्कि सुखद भविष्य कि-
कार्य योजना बनाओ।
जो हो चुका है पूर्व,
उससे नाता तोड़ो-
जो तुम्हें पतन की ओर ले जाय,
उसे छोड़ो,
और आगे गलतियां ना हो-
ऐसा संकल्प दुहराओ।
नहीं तो भय का वह भूत-
तुमको हर पल दबोचेगा,
खाली दिमाग को पाकर के-
अनर्गल काम हीं सोचेगा,
वर्तमान में जियो-
अपना स्वर्णिम भविष्य बनाओ।
      --:भारतका एक ब्राह्मण.
      संजय कुमार मिश्र 'अणु'
      वलिदाद अरवल (बिहार)
संपर्क--८३४०७८१२१७.
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