
अपराजेय अमर
(कविता)
कंधे पर यज्ञोपवीत,
और-
उपर से चेहरा गर्वित,
कमर में सफेद धोती,
उसपर गोलियों की हार
बगल में पिस्तौल और-
मूंछों पर ताव,
बिना पूछे बताता है-
इसका स्वभाव,
गुलामी की दशा में-
शायद मिला था घाव,
अपने मां बाप का वह-
अकेला संतान,
ठान लिया मन में
मुझे आजाद कराना है-
ये गुलाम हिन्दुस्तान,
और लडता रहा लड़ाई
कभी उठा पटक तो-
कभी पिस्तौल भी चलाई
था वह ब्राह्मण स्वाभिमानी।
नाम चंद्रशेखर आजाद-
अपराजेय अमर बलिदानी।।
---:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
वलिदाद अरवल (बिहार)
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आजाद के बलिदान दिवस पर रचित समर्पित शब्द सुमन।
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