
गुंडों को जिसने है पाला
अभिव्यक्ति की आजादी का क्या ऐसे जश्न मनाओ गे ।
अपमानित कर- कर तिरंगे को आखिर इससे क्या पाओगे।।
लाल किले पर तूने जो खूनी हुड़दंग मचायी ।
रख कर हाथ हृदय पर बोलो क्यों तनिक लाज नआयी ।।
प्राणी के पालक कृषकों पर, निर्मम जाल फैलाया।
यह कुकर्म करने से पहले तनिक न आयी माया।।
राष्ट्र विरोधियों को एकत्र कर तुमने गुंडों को पाला।।
समझो "विवेक"से, क्या प्रगति नहीं अवरुद्ध कर डाला ।।
पर याद रखो, कह दो गुंडों से करनी का फल पाओगे।
आज नहीं तो कल निश्चित तुम पकड़े जाओगे।।
डॉक्टर विवेकानंद मिश्र डॉक्टर विवेकानंद पथ गोल बगीचा ,गया
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