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आया है आजाद

आया है आजाद

एक मुखबिर ने आकर कहा,
अल्फ्रेड पार्क में-
अभी-अभी आया है आजाद।
और उसकी मंशा है-
कर दूं गोरे दुश्मन को बर्बाद।
वह लाव-लश्कर लेकर-
पहुंची गोरे लोग,
माहौल को भांपकर वह-
डटकर मिटाने लगा रोग,
चलने लगी गोली पर गोली-
वह बिल्कुल अकेला था,
और इधर थी बड़ी टोली-
फिर भी न भागा न मुंह मोडा,
गोरी सेना का वह घमंड तोड़ा,
बोल भारत माता की जय,
करता रहा दुश्मनों को क्षय,
जब बची अंतिम गोली,
खेल गया खुद की खुनी होली,
वह दे गया बलिदान,
बनाने को देश महान,
आज है आजाद का बलिदान दिवस,
देशभक्ति का सच्चा निकष,
आओ हम सब उसका गुणगान करें।
देश धर्म पर जो प्राण लुटाये-
जयकार कर सम्मान करें।।
       ---:भारतका एक ब्राह्मण.
         संजय कुमार मिश्र 'अणु'
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