जब भी कदम बढाया है
कैसा मौसम आया है
धूप कहीं पर छाया है
ऐठ रहा है आज वही
रस्ता जिसे दिखाया है
जिसे समझता था अपना
निकला वही पराया है
हुआ परेशा अगर कभी
नहीं किसी से गाया है
मित्र बनाया है जिसको
उसका साथ निभाया है
चिंता नहीं उसे कोई
मातु-पिता का साया है
चला सत्य के साथ सदा
मस्तक नहीं झुकाया है
मन ने छेड़ा जब सरगम
गीत गज़ल ही गाया है
मिली सफलता ही जय को
जब भी कदम बढाया है
*
~जयराम जय
पर्णिका,11/1,कृष्ण विहार आवास विकास
कल्याणपुर कानपुर-208017(उ प्र)
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