नशे की शर्त पर दोस्ती, नये वर्ष में अब नहीं

नशे की शर्त पर दोस्ती, नये वर्ष में अब नहीं

-- वेद प्रकाश तिवारी  
"तुम किस जमाने में रहते हो, बीयर भी नहीं लेते ? तुम तो पार्टी का मजा किरकिरा कर दोगे । हम तो हाई स्कूल में थे तभी से सब कुछ खाते-पीते हैं । देखो अगर जमाने के साथ चलना है तो यह सब खाना पीना होगा।
दोस्तों के साथ रहना है तो तुम्हें उनकी बात तो माननी ही पड़ेगी।
नहीं यार मैं यह सब खाता पीता नहीं हूँ । 
तुम रह गए एकदम भूच्चड देहाती। अरे जीवन के मजे लेना सीखो 
एक घूँट चख कर तो देखो तकदीर बदल जायेगी । लाइफ में शराब और शबाब ना हो तो उसके बगैर भी कोई जीना है ।"

बिल्कुल यही होता है उन लड़कों के साथ जो पहली दफा नशा करते हैं और धीरे-धीरे नशे की चपेट में आ जाते हैं ।हमें सबसे पहले यह तय करना है कि हमारे मित्र कैसे होने चाहिए । 
मित्रता की मिसाल अगर जाननी हो तो अपने धर्म ग्रंथों की तरफ लौटने कृष्ण और सुदामा, श्री राम और सुग्रीव आदि अनेक उदाहरण मिल जाएंगे आपको जो मित्रता की परिभाषा गढ़ते हैं । यदि आपको कोई सच्चा मित्र नहीं मिलता है तो आप अपने को अपना परम हितेषी परम मित्र माने । पर ऐसी मित्रता कतई ना करें जो आपको पतन की तरफ ले जाती है। 

सच्चे मित्र के बारे में तुलसीदास जी ने कहा है -

जो न मित्र हौंहाहिं दुखारी, तिन्हहिं बिलोकत पातक भारी। निज दुःख गिरिसम रज करि जाना, मित्रक दुःख रज मेरु समाना। 
सच्चा मित्र वही है हर सुख में न सही पर हर दुःख में हमारे साथ होना चाहिए । वही है जो मित्र दुःख में काम आता आता है। वह मित्र के बहुत छोटे से छोटे कष्ट को भी मेरु पर्वत के सामान भारी मान कार उसकी सहायता करता है। मित्र सुख-दुःख का साथी है। वह केवल दुःख में ही नहीं सुख में भी खुशियां बांटता है। मित्र के होने से हमारे सुख के क्षण उल्लास से भर जाते हैं। कोई भी ख़ुशी, पार्टी मित्रों के शामिल हुए बिना नहीं जमती। सच्चा मित्र हमारे लिए प्रेरणा देने वाला ,सहायक और मार्गदर्शक बनकर हमें जीवन की सही राह की ओर ले जाने वाला होता है। निराशा के क्षणों में सच्चा मित्र हमारी हिम्मत बढ़ाने वाला होता है। जब हम निरुत्साहित होते हैं तब वह हमारी हिम्मत बढ़ाता है। जब हम शिथिल होते हैं तब वह प्रेरणा देता है। जब हम विचलित होते हैं तब वह हमारा मार्गदर्शन करता है। सच्चा मित्र हमारे लिए शक्तिवर्धक औषधि का है जब हम शारीरिक रूप से कमजोर महसूस करते हैं। सच्चा मित्र हमें पथभ्रष्ट होने से बचाता है और सत्मार्ग की ओर ले जाता है। सचमुच सच्ची मित्रता एक वरदान है जो हर किसी को नहीं मिलती। 
सच्चामित्र हमारे लिए प्रेरणा देने वाला, सहायक और मार्गदर्शक बनकर हमें जीवन की सही राह की ओर ले जाने वाला होता है। निराशा के क्षणों में सच्चा मित्र हमारी हिम्मत बढ़ाने वाला होता है। जब हम निरुत्साहित होते हैं तब वह हमारी हिम्मत बढ़ाता 
सच्चा मित्र नि:स्वार्थ होता है। वह जरूरत पड़ने पर हमेशा अपने मित्र की सहायता करता है। एक सच्चा मित्र अपने मित्र को हमेशा उचित कार्य करने की सलाह देता है। जब हम विचलित होते हैं तब वह हमारा मार्गदर्शन करता है। लंबे समय तक दोस्ती को बनाये रखने के लिये निस्वार्ध और भरोसे की बहुत ज़रुरत होती है। मित्रता के लिए कोई भी नियम नहीं होता है अत: मित्रता किस से करनी चाहिए इस संबंध में निश्चित नियम निर्धारित नहीं हो सकते हैं। मित्रता का अर्थ है परस्पर एक दूसरे के हित की कामना तथा एक-दूसरे के सुख , उन्नति और समृद्धि के लिए प्रयत्न करना|हमें अपना सबसे अच्छा दोस्त चुनने में सावधान रहना चाहिये|जीवन में एक अच्छा साथी पाना बहुत मुश्किल कार्य है और अगर किसी को सच्चा साथी मिलता है तो वह बड़ा भाग्य शाली है|सच्चे दोस्त कभी शोषण नहीं करते बल्कि जीवन में सही कार्य करने के लिये प्रोत्साहित करते हैं।आज के दिनों में, अच्छे और बुरे लोगों के भीड़ के बीच में अच्छी दोस्ती मिलना बहुत कठिन है लेकिन अगर किसी के पास सच्चा दोस्त है तो उससे ज्यादा भाग्यशाली इस दुनिया में कोई नहीं है।
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ