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7 माह से डॉक्टरों को न छुट्टी की चिंता और न भोजन की फिक्र इसीलिए जिले में कोरोना मरीजों का रिकवरी रेट 93% पहुंचा

लगभग 7 माह से कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच दिन-रात एक कर बिना अवकाश लिए हजारों रोगियों की सेवा करने वाले जिला मुख्यालय सहित अलग-अलग प्रखंडों में कार्यरत चिकित्सकों ने जब दैनिक भास्कर से अपने अनुभव साझा किए तो कई ऐसे रोचक किस्से सामने आए जिससे यह पता चला कि किस प्रकार एक चिकित्सक ने अपने परिजनों की चिंता किए बगैर सबसे पहले रोगियों की चिंता की। स्वयं कई बार भूखे रहे लेकिन रोगियों को प्रॉपर डाइट और दवाएं उपलब्ध कराई गई।

जिले के सभी चिकित्सकों ने एक कोआर्डिनेशन के आधार पर जानकारी को अपडेट करते हुए सरकार के गाइडलाइंस को फॉलो किया और चिकित्सकीय सेवा रोगियों को उपलब्ध कराई जिसके परिणाम स्वरूप आज हमारे जिले का रिकवरी रेट 90 फीसद से ऊपर 93 पर पहुंच चुका है। हालांकि इस दौरान लगभग 18 मरीजों की जान भी गई लेकिन 4000 से अधिक संक्रमित रोगी बिल्कुल दुरुस्त हो कर अपने घर लौट चुके हैं। प्राइमरी, सेकेंडरी और टरसियरी फार्मूले के आधार पर जिला मुख्यालय सहित प्रखंडों में रोगियों की दिन-रात सेवा की गई।

मरीजों के परिजनों के साथ-साथ चिकित्सकों के परिजनों ने भी किया पूरा सहयाेग : डॉ श्रीकांत

बेतिया एमजेके अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ श्रीकांत दुबे ने बताया कि कई माह बीत गए उन्होंने 1 दिन का भी अवकाश नहीं लिया और लगातार कोविड-19 अस्पताल की पूरी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। उन्होंने दैनिक भास्कर से अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि शुरुआत के दौर में जब कोई मरीज भर्ती होता था तो सबसे ज्यादा परेशान उनके परिजन होते थे अस्पताल में मरीज को अटेंड करने के साथ ही बाहर खड़े परिजनों को आश्वस्त करना आसान काम नहीं था।

लेकिन हमारी टीम ने इस काम को भी बखूबी से निभाया। जिसका परिणाम यह है कि हम रिकवरी रेट में 90 फीसद के आंकड़े को पार कर चुके हैं। शुरुआत के दिन में इतना अधिक प्रेषक था कि 24 घंटे सिर्फ चाय की एक प्याली पर ही काटनी पड़ती थी इतनी भी फुर्सत नहीं मिलती थी कि हम ब्रेकफास्ट लंच पर डिनर कर सके लेकिन जब रोगी दुरुस्त हो कर घर जाने लगे तब ऐसा लगा मानो संघर्ष को सम्मान मिल गया हो।

कठिन था गाइडलाइन के अनुरूप अपने को तैयार रखना : डॉ. अब्दुल

लोरिया के डॉक्टर अब्दुल गनी ने बताया कि अब तक लगभग 300 कोरोना पॉजिटिव मरीजों की उन्होंने चिकित्सा की जिसमें से अधिकांश बिल्कुल स्वस्थ हो चुके हैं। प्रथम लॉकडाउन से लेकर अभी तक सरकार के बदलते गाइडलाइन के अनुरूप अपने आपको तैयार रखना एक चिकित्सक के लिए बहुत ही जोखिम भरा कार्य था लेकिन दिन-रात की मेहनत से बड़ी सफलता मिल ही गई।। आसान नहीं था प्रतिदिन अपने आप को अपडेट करना लेकिन आज हम इस मुकाम पर पहुंच चुके हैं कि भय और संशय की स्थिति फिलहाल हासिए पर है और हम कोरोना को पूरी तरह से हराने के लिए संकल्पित है।

प्रवासी मजदूरों की जांच करना कठिन था लेकिन अब कोई भय नहीं : डॉ. एसएन

बगहा के डॉक्टर एसएन महतो ने बताया कि उनके द्वारा अब तक 7 माह के अंदर 9500 रोगियों की जांच पड़ताल और इलाज की गई है। उनके द्वारा अधिकांश प्रवासी मजदूरों की जांच की गई। शुरुआत के दिनों में किसी एक मरीज को भी देखने में डर भय और संशय की स्थिति बनी रहती थी ऐसा लगता था कि कब कोरोना संक्रमण की चपेट में आ जाएंगे यह कहना मुश्किल है लेकिन धीरे-धीरे या भाई बिल्कुल समाप्त हो गया और आज हम किसी भी मरीज को चाहे वह होम आइसोलेशन में हो अथवा अस्पताल में भर्ती हो उसे दुरुस्त करने का जज्बा जरूर रखते हैं। आम आवाम और जनप्रतिनिधियों को समय-समय पर जागरूक करने वाले डॉक्टर एसएन महतो ने बताया कि वह दिन दूर नहीं जब हम कोरोना संक्रमण के माहौल को को पूरी तरह परास्त कर देंगे।

रात में युवक में दिखे लक्षण, समय पर इलाज से बची जान : डॉ. केबीएन

बगहा के डॉक्टर के बी एन सिंह ने बताया कि लॉकडाउन के पूर्व वे यहां पर पदस्थापित होकर आए थे और अभी तक बिना कोई अवकाश लिए वे लगातार कार्यरत हैं। शुरुआत के दिनों में प्रतिदिन लगभग 2 हजार से अधिक लोगों का स्क्रीनिंग करना एक चैलेंज था जिसे हम लोगों ने स्वीकार किया। उन्होंने बताया कि बगहा-2 के एक 18 वर्षीय युवक में अचानक कोरोना के लगभग सभी लक्षण पाए जाने से अनुमंडल अस्पताल में तहलका मच गया लेकिन हम लोगों ने पूरी निष्ठा के साथ उस पेशेंट को अटेंड किया और सभी आवश्यक दवाएं दी गई कुछ ही घंटे के बाद वह रोगी सामान्य हो गया और धीरे-धीरे बिल्कुल ठीक हो गया इस वाक्या को हम कभी नहीं भूल सकते।



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source https://www.bhaskar.com/local/bihar/muzaffarpur/bettiah/news/for-7-months-doctors-worry-about-no-leave-and-no-food-that-is-why-the-recovery-rate-of-corona-patients-reached-93-in-the-district-127739931.html

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