पेड़ धरा की शान
पेड़ जहां पर हैं वहां ,
करें प्रदूषण दूर।
धूप सहे छाया करें,
जीवन दे भरपूर ।।
अंग न कोई पेड़ का,
जो नहिं आता काम।
जब तक रहती जान है,
लेता कब विश्राम। ।
हरा-भरा जब तक रहे,
झरे पेड़ से नेह।
वही सूख लकड़ी बने,
करे सुसज्जित गेह।।
पेड़ हमें देते सदा ,
सोचो लाभ अनादि ।
तेल,दृव्य,कागज़ सहित,
औषधि कपड़ेआदि।।
दूर प्रदूषण को करें,
हरे हृदय की पीर ।
जीवन को समृद्धि दे,
बने नव्य तस्वीर।।
निर्धन का चूल्हा जले,
निर्बल को दे शक्ति ।
बैसाखी विकलांग की,
करो पेड़ की भक्ति। ।
पेड़ बुलाते मेघ को,
तभी बरसता नीर।
हर्ष बढ़े तृण-तृण हँसे,
कृषकों की तकदीर।।
पेड़ बनाए संतुलन,
पर्यावरण महान।
मत समझो निर्जीव हैं,
पेड़ों में भी जान।।
चाहे पत्थर मारिए,
चाहें काटे डाल।
पेड़ सहे चुपचाप सब,
रखता नहीं मलाल।।
नहीं मिलेगा पेड़ सा,
यहाँ और भगवान।
जीव-जंतुओं के बने,
उसमें कई मकान।।
बिना पेड़ के यह धरा,
लगती है वीरान।
सब जन पेड़ लगाइए,
पेड़ धरा की शान ।।
*
~जयराम जय
'पर्णिका', 11/1,कृष्ण विहार आ वि
कल्याणपुर कानपुर -208017(उप्र)
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