
राज्य में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन संक्रमण की दर कम हो रही है। जांच में बिहार आज देश के पहले पायदान पर खड़ा है। प्रतिदिन होने वाली जांच की संख्या खुद अपना ही रिकॉर्ड ब्रेक कर रही है। कोरोना संकट के समय स्वास्थ्य विभाग की कमान संभाल रहे प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत से भास्कर के कैलाशपति मिश्र की बातचीत-
प्रश्न : पखवारे भर में जांच 1 लाख पार कर गई, कैसे हुआ यह?
- टीम वर्क है। सीएम के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, डॉक्टर, पारा मेडिकल और स्वास्थ्य कर्मियों की मेहनत है।
प्रश्न : रैपिड एंटीजेन टेस्ट की एक्यूरेसी को लेकर क्या कहेंगे??
- रैपिड एंटीजेन टेस्ट काफी उपयोगी है। लक्षण वाले लोगों की अगर रिपोर्ट निगेटिव आने पर भी उनकी आरटी-पीसीआर जांच होती है।
प्रश्न : क्या आरटी-पीसीआर
टेस्ट भी बढ़ेगा?
- जल्द ही हर जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में आरटी-पीसीआर मशीन लग जाएगी। अभी उपलब्ध मशीनों से पूरी क्षमता में 6100 जांच प्रतिदिन हो रही है। सरकार 10 और मशीन खरीद रही है। पीएम केयर फंड से मिलने वाली तीन मशीनें मोतिहारी, पूर्णिया और मधेपुरा में लगाई जाएंगी। अगस्त के अंतिम सप्ताह में राज्य के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज अस्पताल कटिहार, किशनगंज में यह मशीन लग जाएगी। सीएम ने पीएम से दो कोबास-मशीन मांगी है
इससे प्रतिदिन जांच बढ़कर 7200 हो जाएगी।
प्रश्न : कोरोना की गति कब तक थमने की उम्मीद है?
- संक्रमण रोकने के लिए संक्रमितों का पता लगना जरूरी है। संख्या महत्वपूर्ण नहीं है। संक्रमण की दर लगातार कम हुई है। जुलाई अंत में यह 14% के आसपास थी 14 अगस्त को 3.23% थी।
प्रश्न : होम आइसोलेशन वाले मरीजों की देखभाल कैसे हो रही है?
- ऐसे मरीजों की ट्रैकिंग हो रही है। दिन में तीन बार फोन कर जानकारी ली जाती है। जरूरत पड़ने पर मरीज की स्थिति के मुताबिक उन्हें एंबुलेंस से बेहतर इलाज के लिए भेजा जाता है।
प्रश्न : निजी अस्पतालों के चार्जेज पर लगाम कैसे लगेगी?
-प्राइवेट अस्पतालों को मनमानी नहीं करने देंगे। विभाग खुद समीक्षा कर रहा है और उसके बाद दरें निर्धारित होंगी।
प्रश्न : बिहार के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में कितनी सुधार की जरूरत है?
- अभी जरूरी है अधिक से अधिक टेस्ट (जांच) कर संक्रमित का पता लगाना, उनका ट्रीटमेंट और ट्रैकिंग करना और यह उपलब्ध संसाधनों के बूते हो रहा है।
प्रश्न : राज्य में डॉक्टरों की कमी है?
- डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए प्रयास हो रहे हैं। अभी 900 से अधिक डॉक्टरों की नियुक्ति हुई है। तकनीकी सेवा आयोग को और डॉक्टरों की अभियाचना भेजी गई है।
प्रश्न-आपको हमेशा चुनौतीपूर्ण टास्क ही क्यों मिलता है ?
- मुझे जो भी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री जी द्वारा दी जाती है, उसे तत्परता और ईमानदारी से करने का प्रयास करता हूं। यह मेरा सौभाग्य है कि बिहार की विकास यात्रा में शामिल होने का मौका मिलता रहता है।
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source https://www.bhaskar.com/local/bihar/patna/news/private-hospitals-will-not-run-arbitrary-treatment-of-corona-patients-suffix-nectar-127618633.html
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