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इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी कठिन नहीं, लक्ष्य तय कर एक-एक कदम बढ़ाने से मिलेगी सफलता

एजुकेशन बेबिनार में सुपर-30 फेम के आनंद कुमार और जिंदगी फाउंडेशन के आनंद कुमार ने बच्चों को कॅरियर मेंकिंग के टिप्स दिए और उन्हें मोटिवेशनल कहानियां भी सुनाईं। आनंद ने कहा कि बच्चों की यह शिकायत हमेशा से होती है कि उन्हें स्कूल और कोचिंग के बाद सेल्फ स्टडी के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता। तो कोरोनाकाल उनके लिए सुनहरा अवसर है अपनी पढ़ाई करने का, क्रिएटिविटी के साथ सोचने का। प्रेमचंद की कहानियां पढ़ने का, अपने लैंग्वेज को सुधारने का, नए स्किल को सीखने का।

रात कितनी गहरी हो सवेरा जरूर होता है। इस समय स्टूडेंट्स को निराश बिल्कुल नहीं होना है। चार-पांच साल के बाद स्टूडेंट्स याद कर रोमांचित होंगे इस संकट के समय का उन्होंने कैसे उपयोग किया। कितना पढ़ा और कितनी रिविजन की। यह समय पॉजिटिव सोचते हुए आगे बढ़ने का है। अपना संबल बनाए रखें। जिंदगी फाउंडेशन के फाउंडर अजय बहादुर सिंह ने कहा कि जो भी करें हंसते हुए करें। प्रेशर और तनाव में की गई मेहनत सफलता नहीं देती जो हंसते हुए किए गए संघर्ष देते हैं।

अपने संघर्ष की कहानी बताते हुए अजय ने कहा कि जब उनके पिता की तबीयत बहुत बिगड़ी तो उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी। मकान, जमीन, जेवर सब बिक गया। उनकी दवाइयों के लिए चाय-शर्बत तक बेचना पड़ा। हमने अपने डॉक्टर बनने का सपना हंसते-हंसते छोड़ दिया। ट्यूशन पढ़ाया, घर-घर जाकर सोडा बेचा और शादियों में कोल्ड-ड्रिंक सप्लाई किया। लेकिन जो किया मैंने पूरी एनर्जी के साथ किया। स्टूडेंट्स कभी परेशान न हो। खुशी-खुशी पढ़ें और मेहनत करें। सफलता जरूर मिलेगी।
आंनद ने बताया कि मुश्किल समय में धैर्य बनाए रखना जरूरी है। कोरोनाकाल चुनौती नहीं, अवसर है कुछ नया करने, नया सीखने, आगे बढ़ने और लक्ष्य हालिस करने का। जिंदगी फाउंडेशन के अजय बहादुर सिंह ने अपने वन डिग्री फॉर्मूले के साथ स्टूडेंट्स को सोचने का एक नया नजरिया दिया। बताया पानी 99 डिग्री सेंटीग्रेड पर होता है तो वो गर्म होता है और वही जब 100 डिग्री पर चला जाता है तो वो उबलता है। भाप निकलती है। यही स्टीम बड़े-बड़े इंजन को चलाता है। जब हम मंजिल के रास्ते पर निकलते है तो भटकाव बहुत आते हैं लेकिन भटकना नहीं है।

उस एक डिग्री के महत्व को समझकर उसको हासिल करना है। हम हर रोज मेहनत करते हैं लेकिन उसका परिणाम हर दिन नहीं मिलता है। एक-एक डिग्री की तरह एक-एक कदम बढ़ाएं। यह वन डिग्री फॉर्मूला सब बदल देगा। उन्होंने एक छोटी कहानी सुनाई कि कैसे ओडिशा के एक गांव की लड़की जो उनके संस्थान में पढ़ती है उसे ऑनलाइन क्लास के लिए दो किलोमीटर दूर जंगल में जाना पड़ता था, जहां उसे नेटवर्क मिलता था तो वह क्लास कर अपने घर लौटती।

एक दिन उसने अपनी समस्या सुनाई तो मैंने कहा लॉकडाउन न होता तो मैं तुम्हें अपने घर ले आता। इतना बोलना था कि कुछ दिनों के बाद वह लड़की एंबुलेंस से मेरे पास आ गई और कहा सर अब तो आप पढ़ाएंगे न। डेढ़ महीने से वो मेरे साथ रह रही है जी-जान से तैयारी कर रही है। इसी बीच जंगली हाथी ने उसका घर को तोड़ दिया, वह इस खबर से तनिक भी विचलित नहीं हुई। उसने कहा सर मैं उससे बड़ा घर बनाउंगी। यही मेहनत और डिटरमिनेशन सबको अपने अंदर लनाना चाहिए। ऐसी ही लगन से लक्ष्य हासिल होता है।
बच्चों के चुनिंदा सवालों के जवाब

प्रश्न- कोविड के बाद न्यू नॉर्मल में हमारा टाइम टेबल कैसा होना चाहिए?
आनंद कुमार-
हर बच्चे का अपना रूटीन होता है। सब्जेक्ट के अनुसार रूटीन बनाए। पहले उन विषयों की लिस्ट बनाएं जिसमें आपकी रूचि है और फिर जिसमें समस्या है। उसके बाद समय को बांटे। जिन विषयों में आप कॉन्फिडेंट है उनको कम समय दें और जिसमें वीक उन्हें ज्यादा। एक हफ्ते का रूटीन अगर आपने बनाया है तो उसमें एक दिन खाली छोड़ें। इसी तरह महीने का रूटीन बनाएं, ताकि जो छूट गया उसे पढ़ सकें और आगे की प्लानिंग बेहतर कर सकें। अगर आप 10 घंटे पढ़ रहे हैं तो दो से तीन घंटे रिविजन के लिए जरूर रखें।
नीट की तैयार कैसे करें, अगर पढ़ाई नहीं हुई तो?
अजय बहादुर-
पहले तो ये सोचिए कि पढ़ा क्यों नहीं? कारण सामान हो सकता है कि पढ़ने में मन नहीं लगता। ऐसे में आप सिर्फ वही काम करें जो करने का मन नहीं करता। धीरे-धीरे आपको पढ़ने की आदत लगेगी और इंट्रेस्ट भी जागेगा।
सब मेहनत करते हैं ऐसे में भीड़ से अलग कैसे बनें?
आनंद कुमार-
किसी भी विषय को हाऊ (कैसे)एंड ह्वाई (क्यों) के साथ पढें। सही दिशा में मेहनत करें। या तो सबसे बेहतर करने का प्रयास करें नहीं तो सबसे अलग करने का प्रयास करें। यह रास्ता आपको भीड़ से अलग कर देगा।
ऑनलाइन पढ़ाई में दिक्कत हो है तो सिलेबस का कोर्स कैसे चुनें?
अजय बहादुर-
जज्बा आपके अंदर होना चाहिए। एक बार जो समझ न आए उसे दोबारा क्या तीन से पांच बार पूछें और समझें। धीरे-धीरे पढ़ें लेकिन समझकर पढ़ें। यूट्यूब पर वीडियो देखें और बिना झिझक अपने शिक्षक से सवाल करें।
मेरा बेटा 9वीं में है, वो जेईई के लिए कैसे प्रिपेयर करें?
आनंद कुमार- 9वीं और 11वीं के छात्रों को अभी से ही विषयों को लेकर सोचने की क्षमता विकसित करनी चाहिए। लॉजिकल सवालों और पजल को सॉल्व करना चाहिए। कई यूनिवर्सिटी की पजल सॉल्विंग बुक्स मिल जाएंगी। उससे बच्चे की सोचने की ताकत बढ़ेगी।
कोचिंग के टेस्ट में कम नंबर आते ही डिमोटिवेट होता हूं?
आनंद कुमार-
चार-पांच टेस्ट और उसके नंबर आपके जीवन को तय नहीं कर सकते है। ऐसे में परेशान न हों। अपनी कमियों और गलतियों को पहचानें और दोबारा उसे न दोहराने का प्रयास करें।
सुपर 30 में एडमिशन कैसे लें?
आनंद कुमार-
हमने मई में होने वाले टेस्ट को टाल दिया है। कोरोना का माहौल शांत होते ही हम टेस्ट लेंगे। आप हमारी वेबसाइट से जुड़े रहें आपको वहां सूचित कर दिया जाएगा।
गणित कमजोर है। उसे कैसे ठीक करूं?
आनंद कुमार-
गणित को रटिए मत। उसके फॉर्मूला को अपने प्रैक्टिकल लाइफ से जोड़कर सॉल्व करें और उसके हाऊएंड ह्वाई को समझने का प्रयास करिए। कॉन्सेप्ट को ठीक से समझिए। एक ही सवाल को तीन तरीकों से सॉल्व करिए। सॉल्युशन निकल जाने के बाद निश्चिंत मत हो जाइए। देखिए कि क्या आप ज्योमेट्री के सवाल को ट्रिग्नोमेट्री से सॉल्व कर सकते हैं। उससे नए सवालों को फ्रेम करिए।
मैं इस साल नीट की परीक्षा दे रहा हूं, फिजिक्स को ज्यादा समय कैसे दूं?
अजय बहादुर-
अब सिर्फ परीक्षा में एक महीना बचा है। सभी विषय के नंबर बराबर होते हैं। जो आपका स्ट्रांग प्वाइंट है उसपर फोकस्ड रहें। जो आपने पढ़ लिया उसको रिवाइज करें। किसी एक विषय को ज्यादा समय न दें। नया पढ़कर उलझे नहीं। उलझने से आपका परफॉमेंस प्रभावित होगा।
सोचने और करने के बीच के गैप को कैसे भरें?
आनंद कुमार-
लक्ष्य बड़ा रखें, शुरूआत छोटी करें। पहले ही दिन 12 घंटे न पढ़ें। पहले एक घंटे, फिर धीरे-धीरे दो, तीन और बढ़ते जाएं। सबसे बड़ी चीज डिटरमिनेशन है। कल पर कुछ न छोड़े। कल कभी नहीं आता।
अजय बहादुर- खुद के जज बनें और खुद को पनीशमेंट दें। 24 घंटे में की गई अपनी गलतियों को नोट करें और बतौर जज खुद को पनिश करें। मसलन एक दिन खाना नहीं खाना। आपको आपसे बेहतर कोई नहीं जानता।
नजरिया में छुपा है राज कि आपका क्या होगा मुकाम
आरजे कार्तिक ने एक मोटिवेशनल कहानी सुनाई ...दो लड़के शहर में अपने सपनों को पूरा करने के लिए आते हैं। दोस्ती होती है। एक कमरे में रहते हैं। संघर्ष के बाद यूपीएससी क्वालिफाई करते हैं। दो अलग राज्यों में पोस्टिंग होती है। कुछ साल बाद दोनों नौकरी छोड़ कुछ अलग करने की सोचते हैं। एक अपना व्यवसाय शुरू करता है और दूसरा प्राइवेट नौकरी करता है। प्राइवेट नौकरी में अनबन के बाद दूसरा लड़का नौकरी छोड़ देता है और एक दिन अखबार में अपने मित्र की तस्वीर देखता है। वह उसके ऑफिस पहुंच उससे मुलाकात करता है। नौकरी की इच्छा जताता है।

उसे नौकरी मिल जाती है। एक दिन वह मित्र से पूछता है कि ऐसा क्यों हुआ कि तुम मालिक हो और मैं तुम्हारे कंपनी में नौकरी कर रहा हूं। जबकि हमारी क्षमता और पढ़ाई एक जैसी है। इसपर उसका मित्र कहता है याद करो वो दिन जब कोचिंग जाते समय आधे रास्ते में हमें याद आया कि कमरे की लाइट बंद करना भूल गए। तो तुमने कहा कि छोड़ो न मालिक का कमरा है हमें क्या। तुम कोचिंग की ओर बढ़े और मैं कमरे में लौटकर उसे बंद कर कोचिंग आया। उस वक्त तुमने उसे मालिक का कमरा समझा और मैंने खुद को मालिक। बस यही सोच का फर्क था।



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Engineering and medical preparation is not difficult, success will be achieved by setting goals


source https://www.bhaskar.com/local/bihar/news/engineering-and-medical-preparation-is-not-difficult-success-will-be-achieved-by-setting-goals-127603369.html

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