मदारीपन
यह कैसा मदारीपन है , कोई app ये बताता है कि आपका पिछला जन्म कब हुआ था, आप पिछले जन्म में क्या थे।
आप कितने प्रतिशत आलसी हैं, कितने कर्मठ हैं। आपका व्यक्तित्व कैसा है। आपका चेहरा किससे मिलता जुलता है। आप लोगों के बारे में क्या सोचते हैं आदि, आदि । मुझे आश्चर्य होता है कि कुछ लोग पूरे उत्साह और विश्वास के साथ उसकी बताई बातों को सच मानते हैं ,जबकि बड़े-बड़े महात्मा और तपस्वी भी पिछले जन्म की बातों को जानने में असमर्थ हो जाते हैं । यह एक बेहद कठिन साधना है जिसे भगवान बुद्ध करवाया करते थे । इन एप्स के जरिए पिछले जन्म की बातें जानना ठीक वैसा ही है जैसे रोते बच्चे को थाली भरे पानी में चांद को दिखा देना । उनके लिए जरूरी है भारतीय ज्योतिष के बारे में जानना ।
आइये जानते हैं भारतीय ज्योतिष के बारे में जो मनुष्य की कुंडली पढ़कर सब कुछ बता देता है और जो बहुत हद तक सही होता है ।
भारतीय ज्योतिष की अवधारणा मूल रूप से नौ ग्रहों पर टिकी हुई है। इसमें सात ग्रह मुख्य माने जाते हैं और दो को छाया ग्रह कहते हैं। सूर्य राजा है, चंद्रमा मंत्री, बुध मुंशी, बृहस्पति गुरु, शुक्र पुरोहित, शनि राजपुत्र और छाया ग्रह राहु, चांडाल केतु अछूत है।जीवन का मुख्य आधार प्रकाश जिस दिन इस धरती पर नहीं होगा, शायद जीवन भी संभव नहीं होगा, इसलिए ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहों का राजा कहलाता है और उसको आधार मानकर समय की गणना की जाती है।
' एते ग्रहा बलिष्ठाः प्रसूति काले नृणां स्वमूर्तिसमम्। कुर्युनेंह नियतं वहवश्च समागता मिश्रम्॥'
ऊपर दिए गए श्लोक से जाहिर है कि सभी ग्रहों का प्रकाश और नक्षत्रों का प्रभाव धरती पर रहने वाले सभी जीव-जन्तुओं और चीजों पर पड़ता है। अलग-अलग जगहों पर ग्रहों की रोशनी का कोण अलग-अलग होने की वजह से प्रकाश की तीव्रता में फर्क आ जाता है। समय के साथ इसका असर भी बदलता जाता है। जिस माहौल में जीव रहता है, उसी के अनुरूप उसमें संबंधित तत्व भारी या हल्के होते जाते हैं। हरेक की अपनी विशेषता होती है। जैसे, किसी स्थान विशेष में पैदा होने वाला मनुष्य उस स्थान पर पड़ने वाली ग्रह रश्मियों की विशेषताओं के कारण अन्य स्थान पर उसी समय जन्मे व्यक्ति की अपेक्षा अलग स्वभाव और आकार-प्रकार का होता है।
इस तरह ज्योतिष कोई जादू-टोना या चमत्कार नहीं, बल्कि विज्ञान की ही एक शाखा जैसा है। मोटे तौर पर विज्ञान के अध्ययन को दो भागों में बाँटा जाता है :-
1. भौतिक विज्ञान
2. व्यावहारिक विज्ञान
भौतिक विज्ञान के तहत वैज्ञानिक किसी भी घटना के कारण और उसके परिणामों का अध्ययन कर एक अभिकल्पना बनाते हैं। इसके बाद वे समीकरण पेश करते हैं, जिसकी पुष्टि भौतिक प्रयोग के परिणामों और तथ्यों के जरिए की जाती है। व्यावहारिक विज्ञान में हम कारण और उनके प्रभावों का अध्ययन कर अभिकल्पना बनाते हैं कि कौन से कारण क्या प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं? जैसे, नोबल पुरस्कार विजेता डॉ. अमर्त्य सेन ने अर्थशास्त्र को नया सिद्धांत दिया। इसमें आर्थिक विकास को साक्षरता की दर से जोड़ा गया है। उनका यह सिद्धांत जनगणना से प्राप्त आँकड़ों पर आधारित है। इसी तरह ज्योतिषी भी मनुष्य पर सौरमण्डल के प्रभावों का व्यवस्थित अध्ययन करके एवं इकठ्ठा किए गए आँकड़ों का विश्लेषण करके फलादेश करते हैं।
इस प्रकार ज्योतिष, विज्ञान जैसा ही है, जिसमें मानव जीवन पर ग्रह-नक्षत्रों के प्रभाव का तर्कसम्मत एवं गणितीय आधार पर अध्ययन किया जाता है और उपलब्ध आँकड़ों एवं सूचनाओं के आधार पर मानव विशेष के वर्तमान, भूत एवं भविष्य की जानकारी दी जाती है। यदि ज्योतिष को चमत्कार या अंधविश्वास न मानकर उसे अपने जीवन में सही ढंग से प्रयोग में लाया जाए तो वह बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है।कुंडली ज्योतिष :- यह कुंडली पर आधारित विद्या है। इसके तीन भाग है- सिद्धांत ज्योतिष, संहिता ज्योतिष और होरा शास्त्र। इस विद्या के अनुसार व्यक्ति के जन्म के समय में आकाश में जो ग्रह, तारा या नक्षत्र जहाँ था उस पर आधारित कुंडली बनाई जाती है। बारह राशियों पर आधारित नौ ग्रह और 27 नक्षत्रों का अध्ययन कर जातक का भविष्य बताया जाता है। उक्त विद्या को बहुत से भागों में विभक्त किया गया है, लेकिन आधुनिक दौर में मुख्यत: चार माने जाते हैं। ये चार निम्न हैं- नवजात ज्योतिष, कतार्चिक ज्योतिष, प्रतिघंटा या प्रश्न कुंडली और विश्व ज्योतिष विद्या। ज्योतिष के आधार पर शुभाशुभ फल ग्रहनक्षत्रों की स्थितिविशेष से बतलाया जाता है। इसके लिये हमें सूत्रों से गणित द्वारा ग्रह तथा तारों की स्थिति ज्ञात करनी पड़ती है, अथवा पंचांगों, या नाविक पंचागों, से उसे ज्ञात किया जाता है। ग्रह तथा नक्षत्रों की स्थिति प्रति क्षण परिवर्तनशील है, अतएव प्रति क्षण में होनेवाली घटनाओं पर ग्रह तथा नक्षत्रों का प्रभाव भी विभिन्न प्रकार का पड़ता है। वास्तविक ग्रहस्थिति ज्ञात करने के लिए गणित ज्योतिष ही हमारा सहायक है। यह फलित ज्योतिष के लिये वैज्ञानिक आधार बन जाता है।
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