पद्भनाम मन्दिर के सम्पत्ति और रखरखाव के संबंध मे!
भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है यानी सरकार को किसी धर्म या पन्थ से कुछ लेना देना नहीं!संविधान मे भी सनातनधर्म संस्कृति की रक्षा हेतु कोई उपाय वर्णित नहीं हैं!यह लोगों और समाज पर है कि कौन सा राह चुनें! लवजैहाद और धर्मपरिवर्तन पर भी रोक नहीं है!धारा ३०और ३०ए के तहत मुसलमान ईसाईयों को अपने पाठशाला मे धर्म विषयक पाठ पढ़ाने की अनुमति है !सनातनियों को नहीं!वैदिक धर्म के नष्ट हो जाने की जिम्मेवारी सरकार नहीं लेगी !मदरसे,दरगाह ,चर्च के पैसे पादरियों मौलवियों के होंगे तो हिन्दु मन्दिरों के धन सार्वजनिक या सरकार के कैसे? सरकार उच्चतम न्यायालय मे क्या करने गई है? पद्भनाभ मन्दिर का ट्रस्ट बना हुआ है!सरकार उसपर दावा क्यूँ कर रही है? उच्चतम न्यायलय सरकार की जम कर फजीहत करे और पद्मऩाभ मन्दिर के ट्रस्ट को पूर्ववत मन्दिर के देखरेख की जिम्मेवारी सौंपे! मन्दिर का धन ब्राह्मणों ,गौ,साधु,संतों और सनातनधर्म का है!इसपर सरकार गिद्ध दृष्टि नहीं लगाये !सभी मन्दिरों को धर्मगुरूओं यथा आदि गुरू शंकराचार्य के शिष्य परंपरा के शंकराचार्यों के अधीन ट्रस्ट बनाकर उनके हवाले करे!दान की गई वस्तु ब्राह्मणों की होती है!सरकार या जनता की नहीं !दी गई दान पुन: ली नहीं जाती !इससे दरिद्रता ,कुसंस्कार और असुरभाव पनपेगा!कोर्ट को सनातनधर्म संस्कृति की मान्यताओं का ख्याल करके ही फैसला सुनाना चाहिए! सरकार टैक्स लेती है !उससे सदाव्रत नहीं चलाकर मितव्ययिता बरतकर !सरकारी खर्चों पर नियंत्रण !राजनेताओं और कर्मचारियों पदाधिकारियों के वेतन मे कटौति कर बेहतर अर्थ व्यवस्था कायम कर सकती है!जातिगत आरक्षण समाप्त करे !चनाईमृत बाँटने से भुख नहीं मिटने वाली!किसी को धन और पद मिले निन्यानवे प्रतिशत को कुछ नहीं तो इससे आर्थिक विषमता ही फैलेगी और फैल गई है!भारत के अर्थतंत्र को मजबूत करने एवं बेरोजगारी की समस्या से निजात पाने एवं तनाव मुक्त जीवन के लिए सनातनी बर्णव्यवस्था को पुन: लागू करने पर विचार करना चाहिए!जितने लोग अभी भी इसपर कायम हैं उन्हें संरक्षण की जरूरत है!सरकार नौकरी का भ्रम दिखाकर इन घरेलू परंपरागत कुटीर वंशानुगत उद्योंगो को समाप्त नहीं करे!सरकार के उपक्रम घाटे मे चलते हैं !डुबते भी हैं!ऐसी स्थिति मे ये छोटे से दिखरहे वंशानुगत घरेलू पेशा जैसा नाई,धोबी,कुम्हार,मल्लाह,डोम,ब्राह्मण,माली,लुहार,सुनार के कार्य ही बेरोजगारी का समाधान होगा और भारत को वैश्विक अर्थतंत्र के जुआ मे हारने पर पुन: खड़ा करेगा!इसे पूरीतरह से नष्ट नहीं किया जाय जितना बच रहा है उसे बचा लिया जाय!!प्रभाकर चौबे ,ब्राह्मण नेता!
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