बालगीत
राधमोहन मिश्र माधव
बच्चे मन के सच्चे पर कुछ सिखलाना पड़ता है ।
जीवन के सत्वों को भी बतलाना पड़ता है ।।
शिशु के होठों की पहचान
बाबा बोल भरे मुस्कान ।
खुद से बैठ सके धरती पर
औरों से न रहे अनजान ।
बिस्कुट , दलिया , खीर ,शहद
खाने-पीने में करें मदद ।
घिसट- पिसट फिर डग भर-भर
चलाना पड़ता है ।।
दौड़ लगाना हल्का , थोड़ा
कौआ , हाथी , बंदर , घोड़ा ।
एक और एक दो हैं जोड़े ।
प्यार से उनके ना मुँह मोड़े ।
क ल म कलम पढ़ाना पड़ता है ।
बच्चे मन के सच्चे तो कुछ सिखलाना पड़ता है ।।
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