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पंचामृत

पंचामृत

वेद प्रकाश ति
वारी
पंचामृत क्या है ? आइए जानते हैं इसके विषय में-- पाँच अमृत'  ( गाय का कच्चा दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) को मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है। इनके साथ गंगाजल व तुलसी पत्र का भी डाला जाता है। इसी से भगवान का अभिषेक किया जाता है। 

भगवान से प्रार्थना की जाती है--
‘पयो दधि घृतं मधु चैव च शर्करायुतम्।’
पंचामृतं मयानीतं स्नानार्थ प्रतिगृह्यताम्।।

अर्थात- मैं दूध, दही, शुद्ध घी, मधु और शक्कर से युक्त पंचामृत आपके स्नान के लिए लाया हूं, कृपया इसे स्वीकार करें।
पंचामृत से स्नान का मंत्र:
किसी कांसे के बर्तन में देवी, देव प्रतिमा को रखकर स्नान करवाएं देवी, देवता को पंचामृत से स्नान कराते समय नीचे दिए मंत्र का जप करते रहे | इससे देवी, देवता प्रसन्न होते हैं |

पयोदधिघृतं चैव मधु च शर्करायुतं।
पंचामृतं मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम॥ 
गोदुग्ध, गोदधि, गोघृत, शर्करा और मधु के सम्मिश्रण को अलग-अलग करके जाने इनका महत्व --

दूध को अमृत माना गया है। दूध में पकाया हुआ कोई भी पदार्थ  अमृत के समान होता है । जो मनुष्य को  निरोग बनाता है । ऐसा कहा जाता है जो आदमी बचपन से ही गाय का दूध पीता है वह सदा निरोगी रहता है । 

दही शीतल और गाढ़ा होने से मनुष्य में शीतलता ,गंभीरता व संतुलन आदि सद्गुणों को बढ़ाता है

घी स्नेह युक्त, सुगंध युक्त , चिकनाई युक्त पदार्थ है। यह मनुष्य का स्वभाव शांत, शीतल, बनाता है

मधु स्वास्थ्यवर्धक है। रोग निवारक ,शरीर से विष को बाहर निकालने वाला अति स्वादिष्ट पदार्थ है  जो मनुष्य को सबल बनाता है । 
शक्कर गुण में है मिठास। यह जीवन में मिठास घोलता है। मृदुभाषी बनाता है । मनुष्य को मीठा भोजन करना चाहिए और तीखे से बचना चाहिए । 

पंचामृत देते समय पुजारी जिस मंत्र का उच्चारण करते हैं।
आइए जानते है मंत्र. 
ॐ माता रुद्राणां दुहिता वसूनां, स्वसादित्यानाममृतस्य नाभिः । प्र नु वोचं चिकितुषे जनाय, मा गामनागामदितिं वधिष्ट ।।
उसका अर्थ है- श्रद्धापूर्वक पंचामृत का पान करने वाला मनुष्य संसार में समस्त ऐश्वर्यों को प्राप्त करता हुआ शरीरपात के बाद जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है।' " यह पंचामृत का माहात्म्य है।
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