
(उमाशंकर सिंह, रिटायर्ड, अभियंता प्रमुख, जल संसाधन विभाग)मानसून से पहले ही प्रदेश के कई जलाशय सूखकर खेल का मैदान तक बन जाते थे, लेकिन इस बार तस्वीर बदली हुई है। बिहार में 23 प्रमुख जलाशयों में से पिछले साल 19 सूखे थे, लेकिन इसबार 15 में पानी है। इनमें से 8 में 25 फीसदी से अधिक पानी है। दो में 50 प्रतिशत से अधिक है। 8 ही सूखे हैं। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि बांका के चांदन में पिछले साल मानसून के पहले 9 फीसदी पानी था, इस बार 92 प्रतिशत।
इतना बड़ा बदलाव सभी जगह नहीं है, लेकिन लॉकडाउन में प्रदूषण और गर्मी घटने और पानी के कम इस्तेमाल से भू-जल स्तर में सुधार वाले इलाकों के जलाशयों की रौनक बढ़ी है। राज्य के 23 जिलों के भू-जल स्तर में अच्छी वृद्धि दर्ज की जा चुकी है। 11 जिलों में तो भू-जल 5 फीट से ज्यादा ऊपर चढ़ा है। कैमूर में सबसे ज्यादा 12 फीट 2 इंच की वृद्धि मानसून के पहले ही दर्ज की गई।
पिछले साल चार जलाशयों में ही थोड़ा-थोड़ा पानी था। सबसे अधिक दुर्गावती जलाशय में 19 फीसदी पानी था। शेष तीन में से चांदन में 9, खड़गपुर में 6 और कोलमहादेव में 2 प्रतिशत पानी था। वैसे गर्मी शुरू होते ही जलाशय पानी के लिए तरस जाते थे, लेकिन अभी जितना पानी है, उसे मौसम का अधिकतम ही कहेंगे।
(दैनिक भास्कर के आलोक चंद्र से बातचीत पर आधारित)
चांदन की क्षमता 1.10 लाख एकड़ फीट, मानसून के पहले ही 1.02 हुआ स्टॉक
कुल मिलाकर देखें तो प्रदेश के जलाशयों में पिछले साल की अपेक्षा पांच गुना से अधिक पानी है। गत वर्ष चार जलाशयों को मिलाकर मात्र 55 हजार एकड़ फीट पानी था। इस साल 15 जलाशयों में 2.81 लाख एकड़ फीट पानी है। चांदन जलाशय की क्षमता 1.10 लाख एकड़ फीट की है और इसमें मानसून के पहले ही 1.02 लाख एकड़ फीट पानी मापा गया। इसी तरह बदुआ जलाशय की क्षमता 89 हजार एकड़ फीट की है और 45 हजार एकड़ फीट से अधिक पानी का रिकॉर्ड मिला।
लॉकडाउन का असर : मौसम में मिली राहत, पानी का उपयोग भी कम हुआ
पिछले पांच-सात वर्षों से बारिश का औसत 1000 से गिरकर 700 मिलीमीटर पर रह गया था। वर्ष 2018 में तो मात्र 517 मिलीमीटर बारिश हुई, लेकिन पिछले साल 1364 मिलीमीटर बारिश ने जलाशयों को ठीक खुराक दी। जलाशयों के साथ ही आसपास के इलाकों से भू-जल का दोहन गर्मी के साथ तेज होता जाता था, इस बार लॉकडान में यह नहीं हुआ। गर्मी कम पड़ने से पानी का वाष्पीकरण भी कम हुआ। बीच-बीच में बारिश भी हो गई। इसी कारण इस साल बोरिंग का पाइप नीचे करने की नौबत नहीं आई।
सामान्य बारिश हुई तो भागलपुर, मुंगेर, बांका, जमुई के जलाशय 100 प्रतिशत के पार होंगे
इस साल 1000 से 1100 मिमी बारिश का अनुमान है। अच्छी बारिश होने पर भागलपुर, बांका, मुंगेर, जमुई आदि के जलाशय ओवरफ्लो भी कर सकते हैं। पिछले साल बारिश से सितंबर-अक्टूबर में मात्र तीन जलाशय कैमूर के कोहिरा, बांका के चांदन और नवादा के कोलमहादेव 100 फीसदी तक पहुंच पाए थे, जबकि मुंगेर के खड़गपुर और नवादा के जौब में 75 फीसदी से अधिक पानी था। कोहिरा में 22210 एकड़ फीट की जगह थी और 22480 एकड़ फीट पानी आ गया था।
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source https://www.bhaskar.com/local/bihar/patna/news/5-times-more-water-in-reservoirs-than-last-season-only-8-dries-instead-of-19-25-in-eight-and-more-than-50-water-in-two-127434646.html
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