गोपालगंज मस्जिद में हिन्दू युवक की हत्या

गोपालगंज मस्जिद में हिन्दू युवक की हत्या
हमारे संवाददाता रमेश कुमार चौबे की खाश रिपोर्ट
गोपालगंज मस्जिद काण्ड की उच्च स्तरीय जांच पुलिस मुख्यालय की निगरानी में किसी पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी से कराकर दोषियों को दण्डित कराने की कार्यवाही होनी चाहिए I
मस्जिद को शक्तिशाली बनाने के लिए मेरे बच्चे की बलि, पुलिस प्रताड़ना के बाद हमने छोड़ दिया गाँव हिन्दू परिवार का आरोप "मेरे 15 वर्षीय बेटे रोहित को पहले मस्जिद में ले जाया गया, जहाँ उसकी बलि दी गई। गाँव में मुस्लिमों के बीच इस तरह की चर्चा आम थी कि अगर किसी हिन्दू की बलि दे दी जाए तो मस्जिद शक्तिशाली हो जाएगा और इसका प्रभाव बढ़ जाएगा।" - मृत बच्चे के पिता का आरोप
बिहार में पुलिस और प्रशासन की संवेदनहीनता का एक ऐसा नज़ारा देखने को मिला कि कोई भी काँप उठे। एक असहाय और ग़रीब परिवार के बच्चे को मस्जिद में ले जाकर मार डाला गया। इसके बाद उसे नदी में फेंक दिया गया। जब माता-पिता पुलिस के पास शिकायत लेकर पहुँचे तो उन्हें पुलिस ने मारा-पीटा। मजबूरन उन्हें घर छोड़ कर भागना पड़ा। अब वो उत्तर प्रदेश के एक इलाक़े में रह रहे हैं। यह सारा आरोप मृत बच्चे के परिवार ने ही लगाया है।
पीड़ित परिवार की सुरक्षा के कारण हम उनके ताज़ा लोकेशन के बारे में जानकारी नहीं दे सकते। ये घटना बिहार के गोपालगंज स्थित कटेया के बेलाडीह (बेलही डीह, पंचायत: बेलही खास) की है। ओबीसी कैटेगरी में आने वाले राजेश जायसवाल का परिवार ग़रीब है, जो पकौड़े बेच कर अपना गुजर-बसर करते था। मार्च 28, 2020 को कुछ लड़के आए और उनके नाबालिग बच्चे को क्रिकेट खेलने के बहाने बुला कर ले गए। पीड़ित राजेश ने ऑपइंडिया से बात करते हुए बताया कि ये सभी बच्चे मुसलमान थे।
राजेश का कहना है कि उनके 15 वर्षीय बेटे रोहित को पहले मस्जिद में ले जाया गया, जहाँ उसकी बलिदी गई। गाँव में नया मस्जिद बना है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुस्लिमों के बीच इस तरह की चर्चा आम थी कि अगर किसी हिन्दू की बलिदे दी जाए तो मस्जिद शक्तिशाली हो जाएगा और इसका प्रभाव बढ़ जाएगा। राजेश का कहना है कि असल में बच्चों के बहाने उनके नाबालिग बेटे को बुलाया गया। मस्जिद में उन बच्चों के गार्जियन पहले से इन्तजार कर रहे थे, जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया।
बच्चे का गला दबा कर मार डाले जाने की बात भी कही जा रही है। इस हत्याकांड में 6 लोगों के शामिल होने के आरोप लगे हैं। पीड़ित परिवार और आरोपितों के बीच पहले से कोई कहासुनी हुई थी क्या? इस सवाल के उन्होंने नहीं में जवाब दिया। राजेश का कहना था कि कोई विवाद भी नहीं हुआ है कभी। राजेश की छोटी बेटी भी एक वीडियो में देखी जा सकती हैं, जिन्होंने कहा कि उनके भाई को मार डाला गया और इंसाफ नहीं मिला तो उसके माता-पिता आत्महत्या कर लेंगे। बच्ची ने कहा कि पुलिस ने आरोपितों से रुपए खाए हैं, इसीलिए वो एक्शन नहीं ले रही।
पुलिस ने पीड़ितों के साथ किया दुर्व्यवहार हमारे संवाददाता ने  गोपालगंज के एसपी से बातचीत की, जिन्होंने बताया कि इस मामले में जाँच कर के कार्रवाई की जा चुकी है और एफआईआर भी दर्ज की जा चुकी है। पीड़ित परिवार के आरोपों पर उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया और कहा कि एसडीपीओ ही इस बाबत कुछ कह पाएँगे क्योंकि मामले की जाँच उन्हें ही सौंपी गई है। हथुआ एसडीपीओ ने व्यस्तता का हवाला देते हुए इस सम्बन्ध में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
राजेश जब पुलिस के पास अपनी शिकायत लेकर पहली बार गए थे, तब थानाध्यक्ष अश्विनी तिवारी रिपोर्ट लिखने में आनाकानी कर रहे थे। उन्होंने यहाँ तक कहा कि वो राजेश को सरकार से 8 लाख रुपए बतौर मुआवजा दिला देंगे और उन्हें एफआईआर नहीं दर्ज करानी चाहिए। राजेश का आरोप है कि पुलिस ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी अपने मन मुताबिक बनवाई। बच्चे के मृत शरीर को 2-3 मिनट के लिए अंदर ले जाया गया और पोस्टमॉर्टम कर लिए जाने की बात कही गई।
थानाध्यक्ष ने पीड़ित परिवार को बकी गन्दी गालियाँ बच्चे के मृत शरीर के साथ कोई भारी चीज बाँध कर नदी में फेंका गया था, ताकि मृत शरीर तैरते हुए ऊपर न आए यह आरोप मृत बच्चे के पिता राजेश ने लगाया है। बावजूद इसके पुलिस राजेश से कहती रही कि वो बच्चे की दुर्घटना से मौत होने की बात कबूल करें, तभी उन्हें मुआवजा मिलेगा। राजेश ने रोते हुए कहा कि उन्हें सिर्फ़ न्याय चाहिए, जिसके मिलने की उन्हें कोई आस नज़र नहीं आ रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई मीडियाकर्मियों ने उनसे बात की लेकिन शायद मुस्लिम आरोपितों के कारण ख़बर को तवज्जो नहीं दी गई।
बाद में राजेश अपनी पत्नी को लेकर थाना गए थे। जहाँ पर थानाध्यक्ष अश्विनी तिवारी ने उन्हें गन्दी-गन्दी गालियाँ दी। ये ऐसी गालियाँ हैं, जिनके बारे में बताया भी नहीं जा सकता। उन्होंने माँ-बहन की गालियाँ भी दीं। जब राजेश की पत्नी ने उन्हें गाली न देने की सलाह दी तो थानाध्यक्ष ने कहा कि वो गाली देंगे, जो उखाड़ना है उखाड़ लो। संवेदनहीनता की सीमा पार कर उन्होंने मृत बच्चे की माँ को यहाँ तक कह डाला कि तुम्हारे बेटे को मैंने थोड़े ही मारा है?
पीड़ित के पिता ने सुनाई आपबीती
राजेश को गाँव में धमकियाँ भी मिल रही थीं। साबिर अंसारी और रजा अंसारी उन्हें केस वापस लेने को धमका रहे थे। जब धमकी की बात दरोगा तिवारी को बताई गई तो उन्होंने गाँव छोड़ कर चले जाने और कहीं और बस जाने की सलाह दे डाली। यह सारी बात आप वीडियो में सुन सकते हैं। राजेश की पत्नी ने ऑपइंडिया से बात करते हुए बताया कि पुलिस ने उन्हें और उनके पति को खूब पीटा। उनका हाथ मरोड़ दिया गया। इसके बाद राजेश को नीचे पटक कर उन्हें लात-घूसों से मारा गया।
राजेश का कहना है कि पुलिस इस घटना को लगातार दबाना चाह रही है। पुलिस और गाँव के मुसलमानों के अत्याचार से तंग आकर राजेश और उनके परिवार ने गाँव छोड़ने का फ़ैसला लिया और उत्तर प्रदेश में पहुँच गए। राजेश के परिवार ने कहा कि उन्हें रुपए नहीं चाहिए, सरकार से कोई मुआवजा नहीं चाहिए- बस इंसाफ चाहिए। रोते हुए वह कहते हैं कि उनके बेटे को मस्जिद में मार कर नदी में फेंक दिया गया और उन्हें एफआईआर वापस लेने के बदले मुआवजा दिलाने की बात कही जा रही है।
मृतक की बहन ने लगाई न्याय के लिए गुहार राजेश ने कहा कि अभी तक किसी भी स्थानीय नेता ने उनकी मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाया है। स्थानीय मुखिया और थानाध्यक्ष रिश्तेदार हैं, जिस कारण जनप्रतिनिधि उनका साथ नहीं दे रहे। उन्होंने अंदेशा जताया कि उनसे बदला लेने के लिए उन्हें ढूँढ कर नुकसान पहुँचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी ने थानाध्यक्ष के पाँव पकड़ कर न्याय के लिए गुहार लगाई लेकिन फिर भी उनका दिल नहीं पसीजा।
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