सब संपत्ति रघुपति के आहि
डॉ सच्चिदा नन्द 'प्रेमी', सरस्वती सम्मान प्राप्त
संतो और मुनियों की कुटिया साधना केंद्र हुआ करती थी जिसमें संपूर्ण जगत की मानवता , कल्याण ,सुरक्षा , और उसके उत्कर्ष के लिए आयुर्वेद ,धनुर्वेद ,यानी सैन्य विज्ञान ,शांति विज्ञान आदि पर तत्व विवेचन हुआ करता था और शोध का निष्कर्ष उनके पास होता था ।इसीलिए राक्षसों का पहला भेद -केंद्र मुनियों की कुटिया ही हुआ करता था ।आधुनिक युग में संत विनोबा नाम के एक व्यक्ति गागोदा ,आंध्र प्रदेश में प्रगट हुए । वे सूत्र वाक्य बोलते थे । राम राज्य की स्थापना चाहते थे। "सब संपत्ति रघुपति के आहि"सिद्धांत के अनुसार लोगों को समता के लिए प्रेरित करते थे ।वे जानते थे कि असमानता से नक्सलवाद उत्पन्न होता है, उग्रवाद उत्पन्न होता है, वे जानते थे कि कोरोना के भय से शिक्षक घर में रहकर विद्यार्थियों को दूर से ही पढ़ाएंगे । इसीलिए अपने" जीवन और शिक्षण" निबंध में लिखा था ,"भारत में बैठा सावधान शिक्षक लंका में बैठे अपने शिष्य की आत्मा को हिला सकता है" !दूरदृष्टि और सृष्टि के गुणों से परिपूर्ण विनोवा ने बहुत दिन पहले हीघोषणा की थी, आज वह चरितार्थ हो रहा है ।वह किसी भी राजनीतिक दल में विश्वास नहीं रखते थे। दुर्भाग्य है तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री वसंत साठे ने उनसे मिलकर घोषणा कर दी थी कि आपातकाल अनुशासन पर्व है विनोवा ने कहा ,जबकि विनोबा ने कुछ कहा ही नहीं था । बाबा उस समय मौन व्रत में थे । स्लेट पर लिखकर अभिव्यक्त किया था- "विनोवा के राम हरि "
संत महात्मा की जय