" मंदबुद्धि ? "
मीरा जैन, 516,साँईनाथ कालोनी . सेठी नगर ,उज्जैन .'अरे भोला ! जरा सुनना' दीपक बाबू की आवाज सुनते ही भोला दौड़ा चला आया और अपने चिर परिचित अंदाज में हंसते हुए बोला -
' बाबूजी ! आप इस मोहल्ले में नए-नए आए हैं मुझे मालूम था सबकी तरह आपको भी मेरी जरूरत पड़ेगी ही लेकिन बाबू जी अभी मैं 10 दिन तक बुक हूं उसके बाद ही आपका काम कर पाऊंगा '
इस पर दीपक बाबू ने मंदबुद्धि भोला को अपने पास बिठा शांति से समझाया -
' देखो भोला ! मुझे तुम्हारी जरूरत होगी तो जरूर बुलाऊंगा पर मेरी एक बात ध्यान से सुनो मैंने सुना है तुम लोगों का काम बहुत कम पैसे में ही कर देते हो दिन भर के काम के लोग तुम्हें 400 की जगह ₹100 ही देते है--- तुम अपनी मेहनत के पूरे पैसे लिया करो समझे '
इस पर भोला में अपने उसी अंदाज में जवाब दिया-
' बाबूजी ! बात दरअसल ये है कि वे सब लोग थोड़े मंदबुद्धि हैं ' इतना सुनते ही दीपक बाबू को पैरों तले जमीन खिसकती नजर आई उन्होंने पूछा - ' कैसे?'
इस पर भोला बोला -
' बाबूजी ! आप तो पढ़े-लिखे हैं इतना भी नहीं समझते कि ये लोग मुझे ₹400 की जगह ₹100 ही क्यों देते हैं ? क्योंकि इन लोगों को हिसाब ही नहीं आता है मेरी मां कहती है जिन्हें हिसाब नहीं आता वे मंदबुद्धि होते हैं '