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डर कोरोना का.....


डर कोरोना का.....
    - मनोज कुमार मिश्र
हेलो, शर्मा सर! जी, मैं  ज़ेड एम (जोनल मैनेजर), पी. ए. आशु बोल रही हूँ। सर ने आपको तुरंत बुलाया है!
अभी...!  हाँ, सर...!
देखो आशु अभी तो मैं आफिस से बाहर हूँ, 15 से 20 मिनट में आफिस पहुंचता हूँ, तो मिल लूंगा!
पता नहीं सर! उन्होंने तो तुरंत बुलाया था, चलिए सर, में उन्हें बताये देती हूँ।
सैकड़ों सवाल एक साथ मेरे दिमाग में आने लगे। उन्हें ऐसा क्या काम हो गया जो मुझे बुला रहे हैं। मैं तो प्रधान कार्यालय के अंदर कार्यरत हूँ, ज़ेडएम को मुझसे क्या काम हो सकता है। चलो देख लेंगे अब जो होना है वो तो होगा ही।
तभी मेरे फ़ोन की घंटी पुनः बजी उस तरफ से ज़ेडएम ही थे।
अरे शर्माजी कुछ खबर भी है आपको, आपकी बिल्डिंग में कोरोना घुस गया है।
ऐं... कब, कहाँ, कैसे? एक साथ कई प्रश्न मेरे ही मुंह से निकले थे।
अरे आप क्या बिल्डिंग प्रेजिडेंट हैं! आपको कुछ मालूम ही नहीं! सर, मैं 10 मिनट में आपके पास पहुंचता हूँ, जरा खुलकर बताइयेगा!
अरे सुनिए वो आपका पड़ोसी है न?  आपका नेक्स्ट डोर नेबर....!
राजेश क्या सर.....?
हाँ, हाँ वही, मेरे पास खबर है कि वो या उसका फैमिली वाला; कोई तो कोरोना पॉजिटिव है! अभी अभी उसके ब्रांच हेड ने मुझे बताया है। आप उसको बिल्डिंग में आने से रोकेंगे! किसी भी कीमत पर वो बिल्डिंग में घुसना नहीं चाहिए! आप समझ रहे हैं, मैं क्या कह रहा हूँ...! वो बिल्डिंग में घुसना नहीं चाहिए!
जी सर, जी सर में सबको अलर्ट करता हूँ!
आप सबसे पहले उस सिक्योरिटी गार्ड को बोलो, उसे अंदर घुसने नहीं दे! किसी भी कीमत पर! आप कैसे करोगे मैं नहीं जानता! पर घुसना नहीं चाहिए।
उनका लहजा तल्ख था और मैं किंकर्तव्यविमूढ़, ऐसे कैसे किसी को उसके आवास में जाने में रोका जा सकता है! ज़ेड.एम. का तो कहना था कि उसे उसकी बीबी से भी नहीं मिलने देना है। अगर वो चाहे तो परिवार वालों को सीधे नीचे बुला कर अस्पताल जा सकता है, पर किसी भी कीमत पर बिल्डिंग में नहीं जाएगा! जेडएम के शब्द अभी तक गूंज रहे थे। मैंने प्रश्नों के बवंडर लिए अपने कार्यालय में प्रवेश किया और सोचने लगा।
सर! आपका फ़ोन बज रहा है - चपरासी बोला।
अरे तो क्या मैं नहीं सुन रहा हूँ।
सॉरी, सर!
हाँ, बोलो क्या बात है- मैंने पूछा!
सर गजबे हो गया, अपने बिल्डिंग में एक कोरोना मरीज़ छिपा बैठा है। आपको तो पता होना चाहिए- उधर से कुमार की आवाज़ थी।
चौंकने की बारी अब मेरी नहीं थी, मैं पहले से ही इस जानकारी से अवगत था। फिलवक्त मैं ही इस बिल्डिंग सोसाइटी का अध्यक्ष था। सब कुछ सामान्य ही जा रहा था, यहां तक कि कोरोना वायरस की खबरों के बीच हम अपने दफ्तर भी सामान्य मगर सतर्क रूप से जा रहे थे। मैंने अपने सहयोगी और बिल्डिंग के सेक्रेटरी रोहित को सारी बात बताई और उसे लेकर जेड.एम. के कक्ष की ओर रुख किया। रोहित भी असमंजस में था। किसी को सीधे कैसे कह जा सकता है कि वो पहले टेस्ट कराए तब बिल्डिंग में आये।
आइये, आप तो प्रेजिडेंट और सेक्रेटरी हैं ना! आप लोगों को इतना भी नहीं पता था और शर्मा जी आपका तो वो पड़ोसी है ना? आपको तो एक्स्ट्रा सावधान रहना होगा!
जी सर, जी सर!
अब जाइये और रोकिए, देखिए ये बात हेड आफिस पहुंच गई है!
सर' वो कैसे?
अरे कैसे, मुझे नहीं मालूम पर मुझे ईडी (एक्सक्यूटिव डाइरेक्टर) का फ़ोन आया था कि तुम्हारे रीजन में क्या हो रहा है? क्या तैयारी है तुम्हारी इस महामारी से बचने के लिए! अब जल्दी से एनस्योर करो कि वो घर न पहुंचे! अभी रास्ते मे है शायद ट्रेन में, उसे रोको और अस्पताल में भर्ती कराओ! जाओ......
हम दोनों अपना से मुंह लेकर वापस आ गए। कुछ विमर्श के बाद मैंने राजेश को फोन करने का सोचा। तभी फ़ोन की घंटी बजी। उधर से राजेश ही था। सर, ये क्या हो रहा है, मुझे क्यों आफिस में काम नहीं करने दिया जा रहा है?
मैंने उसे तसल्ली दी - हुआ क्या है, कुछ बताओ तो!
अरे सर मेरा मैनेजर कह रहा है कि कोरोना का टेस्ट कराओ और सर्टिफिकेट लाओ तभी आफिस में आने दूंगा। सारे लोग मेरे खिलाफ हो गए हैं जैसे मैने किसी का खून कर दिया है। अरे जब मुझे कुछ हुआ ही नहीं तो मैँ टेस्ट क्यों कराऊँ? हम नहीं कराएंगे। झूठ मूठ का परेशान कर रहा है। बताइए मेरे घर में मेरी उतनी बूढ़ी सास है दोनों बेटियां हैं, और कुछ होगा तो सबसे पहले हम अपनी सास को ही ना भेज देंगे। पूना में ही तो मेरा साला है - राजेश जैसे बरस पड़ा।
सुनो राजेश, हाँ ध्यान से सुनो, ये मामला अब उतना सीधा नहीं रह गया है! जेडएम तक इन्वॉल्व हैं। अच्छा बताओ तुम्हारी बेटी तो स्पेन में हैं न?
नहीं, सर, वो यहां आ गयी है। वहां बीमारी फ़ैली तो उसे यहां भेज दिया गया, उसका कॉलेज बंद कर दिया गया है।
और यह बात तुमने अपने आॅफिस में जरूर बताई होगी, है न!
हाँ बताई तो थी, पर वो तो कबे आई है और उसको नेगेटिव बताया था। उसको कोई लक्षण भी नहीं था, न है।
देखो राजेश भगवान न करे उसे कुछ भी हो पर यह संशय का बीज तो बोया तुम्हीं ने ना! और दो दिन से तुम कहाँ थे?
सर घर पर था, बीमार हो गया था, वही सर्दी खांसी, आप तो जानते ही हैं मेरे साथ ऐसा अक्सर हो जाता है।
बस अब समझ में आ गया कि क्या हुआ है! तुम दो दिन आये नहीं, बुखार बता दिए, तुम्हारी बेटी स्पेन से आई है, सब को शक हो गया कि ये बुखार उसी वजह से है। अब ऐसा करो पहले
हस्पताल जाओ और टेस्ट करवाओ! देखो मामला ईडी की टेबल पर है। इसलिए ज्यादा ना-नुकुर की गुंजाइश ही नहीं है!
हम नहीं करवाएंगे सर, जब हमारे घर मे कुछ हुआ ही नहीं तो हम क्यों कराएं! और खर्चा कौन देगा? हम कह दे रहे हैं , नहीं करवाएंगे तो नहीं करवाएंगे!
देखिए राजेश जी ये वक्त नहीं कहने का नहीं है। आप सोसाइटी के ग्रेटर गुड के लिए करवा लीजिये! अगर जरूरत पड़ी तो सोसाइटी आपके खर्च को भी देगी। बात समझिए। अभी घर मत जाइए, सीधे अस्पताल जाइये!
ठीक है अब आप कह रहे हैं तो करवा लेता हूँ आप बताइए कहाँ करवाऊं!
भाई ऐसा करो कस्तूरबा हॉस्पिटल चले जाओ। वहीं इसका टेस्ट होता है।
ठीक है सर, जाता हूँ।
मेरे शिर से कुछ भार हटा, अब अपने काम पर ध्यान दे पाऊंगा।
अभी कुछ निश्चिंत हो पाया था कि फोन पुनः बज उठा। इस बार कुमार था - सर क्या हुआ? देखिए बिल्डिंग में 36 परिवार हैं एक के लिए सबकी बलि नहीं चढ़ाई जा सकती। आप उसको हॉस्पिटल में भर्ती करवाइए! पुलिस को फ़ोन कीजिये! हेल्थ सेंटर में फ़ोन करके इसको हॉस्पिटल भिजवाईये! अच्छा फ़ोन पर रहिये सर मैं ICMR को फ़ोन लगाता हूँ। ...जी मैडम मैं मुम्बई के अंधेरी में रहता हूँ हमारे यहाँ एक व्यक्ति स्पेन से आया है उसका टेस्ट बहुत जरूरी है। सर..आपका नंबर दे दें। चलो दे दो..। लिखिए मैडम ये फ़ोन नंबर है। कुमार ने बड़े आराम से मेरा नंबर उस स्वास्थ्य विभाग के कर्मी को पकड़ा दिया। अभी कुमार का फ़ोन खत्म ही हुआ था कि घंटी पुनः बज उठी। सर क्या हो रहा है... हम सबकी जान खतरे में है.... मेरा तो छोटा बच्चा भी है....सर उसे जल्दी बिल्डिंग से बाहर निकलवाईये! इस बार श्रीमती मोना थी। अरे शर्माजी क्या ये बात सच है? क्या....? यही कि बिल्डिंग में एक कॅरोना का मरीज है। इस बार पाणिग्रही जी थे। मैंने सर पीट लिया। राजेश का फ़ोन नहीं आया था। पता नहीं उसने टेस्ट करवाया या नहीं। मैंने सुरक्षा गार्ड को फ़ोन लगाया। अरे राजेश बाबू आये थे क्या? हाँ सर आये तो थे । अपने घर भी गए क्या। जी सर अपने फ्लैट में गए थे। सत्यानाश....फिर। अपने वाइफ के साथ कहीं गए हैं। तो इसका मतलब हुआ कि राजेश गया तो है टेस्ट कराने पर उसने फ्लैट पर न जाने की बात नहीं मानी। अब तो सिर्फ भगवान ही मालिक हैं अगर कहीं टेस्ट पॉजिटिव आ गया तो क्या होगा। मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था। इस बीच डेढ़ घंटे बीत गए। राजेश के बारे में सोच सोच के मन परेशान था। तभी फ़ोन की घंटी बजी, उधर से राजेश था। सर देखिए आप लोग बेकार में खाली हैरान परेशान करवा रहे हैं। वहां तो डॉक्टर ने टेस्ट किया ही नहीं पूरे डेढ़ घंटे लाइन में थे तब जाकर नंबर आया था पर वो बोली कि आपको कोई लक्षण ही नहीं है इसलिए आपका टेस्ट नहीं होगा। आपके व्हाट्सएप्प पर फ़ोटो भी भेज दिया है। चाहे तो जेडएम को दिखा दीजिएगा। पहले ही कह रहे थे कुछो नहीं है पर आप लोग मानें तब ना! राजेश ने अपने मन का पूरा गुबार मेरे ऊपर निकाल दिया। मैने जैसे तैसे फ़ोन काटा और जेडएम साहब को ये खबर देने पहुंच गया। उनके केबिन में मानव संसाधन के अफसर के साथ उनके डिप्टी भी मौजूद थे। सब बात सुनकर वे बोले अच्छा ठीक है पर हमें तो ईडी को भी जबाब देना है। डिप्टी साहब ने फरमाया एक काम करो उसको बोलो विभागीय चिकित्सक से एक प्रमाण पत्र ले आये। मानव संसाधन वाले ने हाँ में हाँ मिलाया। मैँ भी यह कहते हुए बाहर आ गया की ठीक है उसको कह दूंगा। बाहर आकर सोचा कि अगर डॉक्टर को भनक भी पड़ गयी तो पूरा मोहल्ला अपनी बिल्डिंग में आ जाएगा। पर किसी तरह ये बात राजेश को कहनी ही थी सो कह दिया। उसकी भी प्रतिक्रिया मेरे जैसी ही थी। मैने कहा देता है तो ठीक, नहीं तो जेडएम को बता देना। किसी तरह दिन बीता और वापस फ्लैट की ओर चला। बिल्डिंग में घुसते ही घोष बाबू मिल गए। सर मैटर बहुत सीरियस हाय। आप समझिए। सोबका लाइफ रिस्क में है। उसको निकलना होगा। मैंने कहा चलिए मीटिंग कर लेते हैं आज रात 9 बजे। नोहिं सर मीटिंग से कुछ होगा! अब मेरा भी पारा चढ़ने लगा। चलिए सब लोग चलिए उससे उसके घर जाकर पूछते हैं! नोहिं सर वहां मोरने कौन जाएगा। शाम को रोहित मिला, बोला - सर क्या बतूनमुझे मेडिकल टीम से फोन आया था। मुझे धमका रहे थे कि अफवाह फैलाते हो, अंदर कर देंगे। मैंने पूछा भी कि मैंने तो कोई कंप्लेन भी नहीं कि है फिर क्यों आप ऐसा कह रही हो। वो बोली हमारे पास लिखित शिकायत है वुसमे यही नंबर दिया है जिस पर बात हो रही है। मैने भी कहा तो जांच क्यों नहीं लेते। टेस्ट कर लो ना। फिर उधर से फोन काट दिया। लोग क्या क्या कर रहे हैं। मैने कहा अच्छा मीटिंग में देखेंगे। गार्ड से पूछा कि कोई म्युनिस्पैलिटी से आया था। वो बोला आये तो थे पर यहीं बैठ के चले गए। ऊपर फ्लैट में नहीं गए। बोल रहे थे इतवार तक जाएंगे।
रात 9 बजे मीटिंग हुई मैने सब को बताया कि दिन भर में क्या-क्या हुआ। मैंने बताया कि किस तरह डॉक्टर ने उसका परीक्षण करने से इन्कार कर दिया क्योंकि उसमें कोई लक्षण नहीं था। किस तरह म्युनिस्पैलिटी वाले आये तो मगर फ्लैट में जाने की बजाय नीचे से ही खानापूर्ति करके चले गए। कुमार ने फिर कहा - सर वो अपनी बेटी के स्पेन से आने की बात छुपा गया होगा। अरे नहीं भाई उसने सब बताया था पर टेस्ट फिर भी नहीं हुआ। अच्छा तुम बताओ यश तुम्हारी क्या राय है। सर देखिए मेरी मेड भी उसके यहां जाती है। उसका कहना है की वहां कोई बीमार नहीं है। पर सर डर तो लगता ही है ना? मैने तो मेड को आने से भी मना कर दिया है। सोरेन ने भी काफी चिंता जताई। आखिरकार मैंने कहा - चलिए एक काम करते हैं सब मिलकर उसके घर चलते है। सर सुनिए ना मुझे अभी एक दोस्त के घर जाना है इसलिए चलता हूँ। पाणिग्रही जी का समाचार का वक्त हो गया था। मोना का तो खैर बच्चा ही छोटा था। घोष बाबू के टहलने का वक्त हो गया था। धीरे धीरे करके सभी विदा हो गए। बचा मैं और मेरा सहयोगी जो सचिव भी था। चलिए सर अपने घर चलिए इन लोगों से सिर्फ गाल बजाना होगा और कुछ नहीं! मैने भी सोचा बेकार ही इतना झंझट कर लिया। अरे अगर उसके बच्चे पर कोई संकट होता तो क्या राजेश घर में ठहरता। मैं भी अपने फ्लैट में दाखिल हो गया। वो दिन और आज का दिन राजेश ने घर से निकलना ही छोड़ दिया है और कुमार घोष मोना और पाणिग्रही देखते ही कन्नी काट लेते हैं। समय का फेर देखते ही बनता है। हाँ कभी कभी राजेश से फ़ोन पर बात होती है उसका कुशल-क्षेम पूछ लेता हूँ। सब ठीक है।