समकालीन जवाबदेही ‘निबंध अंक’ का भव्य लोकार्पण, साहित्यिक विमर्श का सशक्त मंच बना सम्राट अशोक सभागार

औरंगाबाद।
समकालीन जवाबदेही परिवार की ओर से सद्यः प्रकाशित पत्रिका समकालीन जवाबदेही के विशेष ‘निबंध अंक’ का भव्य लोकार्पण शहर के ब्लॉक मोड़ स्थित सम्राट अशोक सभागार में गरिमामय वातावरण में सम्पन्न हुआ। साहित्य, भाषा और सामाजिक सरोकारों को केंद्र में रखकर आयोजित यह समारोह शहर के साहित्यिक कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण अध्याय सिद्ध हुआ।
समारोह की अध्यक्षता पंचदेव धाम, छपरा के प्रधान सेवक अशोक कुमार सिंह ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि समकालीन समय में निबंध विधा समाज की चेतना को दिशा देने का प्रभावी माध्यम है और ऐसी पत्रिकाएँ वैचारिक परिष्कार का कार्य करती हैं। कार्यक्रम का सधा हुआ और प्रभावी संचालन प्रखर वक्ता, अधिवक्ता एवं पत्रकार प्रेमेंद्र मिश्र ने किया।
मंच का विधिवत उद्घाटन पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह ने मंचस्थ अतिथियों के साथ दीप प्रज्वलित कर किया। मुख्य अतिथि के रूप में दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया के भारतीय भाषा विभाग के अध्यक्ष प्रो. डॉ. सुरेश चंद्र ने पत्रिका के वैचारिक पक्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा कि निबंध अंक समकालीन समाज के प्रश्नों को भाषा की गरिमा और तर्क की सुदृढ़ता के साथ प्रस्तुत करता है।
विशिष्ट अतिथियों में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. कुमार वीरेंद्र, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त प्रधानाध्यापक डॉ. सच्चिदानंद प्रेमी, औरंगाबाद जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो. सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह, राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था साहित्य भारती के मंत्री एवं कवि राकेश कुमार, नगर परिषद औरंगाबाद के अध्यक्ष उदय कुमार गुप्ता, रेड क्रॉस के अध्यक्ष सतीश कुमार सिंह तथा डॉ. शीला वर्मा की गरिमामयी उपस्थिति रही।
अतिथियों ने पत्रिका के संरक्षक एवं डीपी आरपी बी.एड. कॉलेज, चित्रगोपी के संस्थापक शंभुनाथ पाण्डेय की संगठनात्मक क्षमता और कार्यकुशलता की मुक्तकंठ से सराहना की। वक्ताओं ने कहा कि उनके मार्गदर्शन में समकालीन जवाबदेही निरंतर गुणवत्ता और वैचारिक प्रामाणिकता के साथ आगे बढ़ रही है।
पत्रिका के प्रधान संपादक एवं साहित्यकार सुरेंद्र प्रसाद मिश्र के संपादकत्व में प्रकाशित ‘निबंध अंक’ को मंचस्थ अतिथियों के साथ-साथ दर्शक दीर्घा में उपस्थित साहित्य सेवियों और साहित्यानुरागियों ने भी सराहा। वक्ताओं ने अंक में शामिल निबंधों को समकालीन समाज की जटिलताओं, लोकतांत्रिक मूल्यों और सांस्कृतिक चेतना का संवेदनशील दस्तावेज बताया।
समारोह में अतिथियों का पद्यमय स्वागत धनंजय जयपुरी द्वारा किया गया, जिसने कार्यक्रम में काव्यात्मक गरिमा जोड़ी। अंत में धन्यवाद ज्ञापन पूर्व प्रधानाचार्य राम किशोर सिंह ने किया। उन्होंने सभी अतिथियों, लेखकों, पाठकों और आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह आयोजन साहित्यिक संवाद को और सशक्त करेगा।समारोह का समापन सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुआ, जहाँ उपस्थित जनसमूह ने साहित्य और समाज के बीच सेतु निर्माण के इस प्रयास को ऐतिहासिक बताया।
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