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काल के शिखंड पर,संकल्प साधना अखंड कर

काल के शिखंड पर,संकल्प साधना अखंड कर

कुमार महेंद्र
अर्जुन सी लक्ष्य उपासना,
सर्वस्व अर्पण तर्पण ।
अडिग निर्णयन बिंदु,
नित तज भाव समर्पण ।
बाधा घटक विचलन सह,
हुंकार हृदय मार्तंड भर ।
काल के शिखंड पर,संकल्प साधना अखंड कर ।।


हर प्रश्न हल अंतर्निहित,
समस्या सहज समाधान ।
बुलंद हौसली भाव अंतर,
नित्य जीत मंत्र ध्यान ।
आत्म विश्वास परम मित्र,
अति पर्याय सम अहंकार सर ।
काल के शिखंड पर,संकल्प साधना अखंड कर ।।


शौर्य साहस पराक्रम संग,
जीवन रण विजय भव ।
धरा विभूषित वीर जन,
राष्ट्र रज रज रंजन रव ।
सर्व संभव मनुज कर वश,
यथार्थ वंदन कदम चल दूर कंड पर ।
काल के शिखंड पर,संकल्प साधना अखंड कर ।।


निज संस्कृति संस्कार मर्यादा,
नैतिक निर्वहन प्रेरणा सेतु ।
स्वच्छ स्वस्थ आचार विचार,
सकारात्मकता सफलता केतु ।
अपनत्व _संबंध पराकाष्ठा,
उर स्नेह प्रेम ज्योत प्रचंड धर ।
काल के शिखंड पर,संकल्प साधना अखंड कर ।।


कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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