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आदमी के भेष में भेड़ियों को, विश्व जानता है,

आदमी के भेष में भेड़ियों को, विश्व जानता है,

भेड़ की खाल में छिपे दरिंदों को, देश पहचानता है।
ईमान वाले खुद, ईमान वालों से ही दहशतज़दा हैं,
इस्लामिक जगत, इस सत्य की सत्यता मानता है।

सनातन ने सहिष्णुता को, मानवता आधार माना,
हर रज कण जीवन में ईश्वर, यह विश्वास माना।
दया धर्म परोपकार, सनातन संस्कृति का मूल रहा,
विनम्रता भाईचारे की भावना, हमारे संस्कार माना।

कालखंड से पहले शस्त्र और शास्त्र, हमारे आधार थे,
सभी देवगणों के हाथों, अस्त्र शस्त्र अभय आधार थे।
बोद्ध और जैन ने जबसे, अहिंसा को विस्तार दिया था,
हमारी सहिष्णुता, आपके हिंसक इरादों के आधार थे।

बस ज़रा सी करवट, सनातन ने ली है,
सोये हिन्दू ने ज़रा, अभी आँख मली है।
अगर जाग गया हिन्दू, परिणाम जान ले,
पाक की औक़ात देख, ख़ाक में मिली है।

आग से हम खेलते, मर कर भी जहां मे,
छिप कर नहीं रहते हम, क़ब्रों के जहां में।
सनातनी चिंतन, दुश्मन से भी प्यार करना,
हदें पार करें तो मिटा देते, उसको जहां में।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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