"शब्दों में शेष"
पंकज शर्माजब देह समय की ओट में खो जाएगी,
तब भी अनुपस्थिति पूर्ण नहीं होगी—
कुछ श्वासें अक्षरों में ठहर जाएँगी।
मैं किसी स्मारक में नहीं,
काग़ज़ की साधारण सफ़ेदी पर
अपने ही प्रश्नों के साथ जीवित रहूँगा।
शब्द मेरे उत्तर नहीं होंगे,
वे मेरी बेचैनियाँ होंगे—
जो हर पाठक से नया संवाद चाहेंगी।
जहाँ मौन थक कर बैठता है,
वहीं भाषा मेरा हाथ थाम लेती है,
और मैं विचार बनकर आगे बढ़ता हूँ।
मेरी अनुभूतियाँ स्याही नहीं,
समय का निचोड़ हैं—
जिनमें स्मृति धीरे-धीरे पकती है।
जो मुझे पढ़ेगा,
वह मुझे नहीं—
अपने भीतर के किसी अधूरे सत्य को छुएगा।
इसलिए खोना भी एक प्रकार का होना है,
क्योंकि अर्थ देह का मोहताज नहीं,
वह चेतना में आवास करता है।
मैं न रहूँ, तो भी चिंता मत करना—
जहाँ कहीं कोई पंक्ति ठिठक जाए,
समझ लेना, मैं वहीं हूँ।
. स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित
✍️ "कमल की कलम से"✍️ (शब्दों की अस्मिता का अनुष्ठान)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag


0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com