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बुढ़ापे का दामपत्य जीवन,कुछ नसीहत युवाओं के लिए।

बुढ़ापे का दामपत्य जीवन,कुछ नसीहत युवाओं के लिए। 

जय प्रकाश कुवंर
दामपत्य जीवन का लंबा सफर, 
हिल मिल कर अब तय हो गया है। 
मंजिल अब दूर नहीं दिखता, 
लगता है जाने का समय हो गया है।। 
आज भी बुढ़िया झुझलाती है, 
बात बात पर लड़ती है, झगड़ती है। 
सुबह जब तक बहू बेटे सोते रहते हैं, 
चाय पिलाने का काम वही करती है।। 
घर के बुजुर्ग टीचर और घर विद्यालय है। 
बच्चों के निगाह में यह समाहरणालय है।। 
 घर में बुजुर्गों का ही आदेश चलता है। 
यह बात युवा पीढ़ी को खुब खलता है।। 
वो नहीं समझते की घर में, 
जीवन जीने का फलसफा सिखाया जा रहा है। 
बुजुर्गों ने अपने बुजुर्गों से जो सिखा है, 
वहीं पाठ दुहराया जा रहा है।। 
आज के बच्चों को स्कूल कालेज में, 
होम साइंस विषय पढ़ाया जा रहा है। 
तोता जैसे वो रटते हैं विषय को, 
पर घर का असल ककहरा भुलाया जा रहा है।। 
चाल चलन, रहन सहन, 
किसी विद्यालय में नहीं पढ़ाया जाएगा। 
यह घर में दी जाने वाली शिक्षा है, 
युवा पीढ़ी अपने बुजुर्गों से ही सिख पाएगा।। 
अपने दामपत्य जीवन में बुजुर्ग, 
भले ही बात बात पर लड़ेंगे, झुझलायेंगे। 
उनकी दी हुई नसीहत पर अमल करो, 
अन्यथा उनका समय पूरा होने को है, 
वे तुम्हें छोड़ कर बहुत दूर चले जायेंगे।। 
                जय प्रकाश कुवंर
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