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४४वें महाधिवेशन के लिए सज्ज हुआ हिन्दी साहित्य सम्मेलन

४४वें महाधिवेशन के लिए सज्ज हुआ हिन्दी साहित्य सम्मेलन

  • बिहार के राज्यपाल करेंगे उद्घाटन, दो दिनों में आयोजित होंगे सात वैचारिक सत्र,
  • लगेगा देश भर के साहित्यकारों का कुम्भ, होगा विराट कवि-सम्मेलन,
  • नामित अलंकरणों से विभूषित होंगे कवि-लेखक, संध्या में सांस्कृतिक-महोत्सव|

पटना, १७ दिसम्बर । अपनी स्थापना के १०७वें वर्ष में प्रवेश कर चुका बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन अपने दो दिवसीय ४४ वें महाधिवेशन के लिए पूरी तरह सज्ज हो चुका है। आगामी २०-२१ दिसम्बर को, सम्मेलन-सभागार में आयोजित होने वाले इस महाधिवेशन के दो दिनों में हिन्दी भाषा और साहित्य के उन्नयन पर गम्भीर विमर्श होंगे, जिसके लिए ७ वैचारिक-सत्र आयोजित किए जाएँगे। विदुषी लेखिकाओं और विद्वान साहित्यकारों को नामित अलंकरणों से विभूषित किया जाएगा तथा एक विराट राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन भी संपन्न होगा। सम्मेलन के कला-विभाग की ओर से, प्रथम दिवस की संध्या एक भव्य सांस्कृतिक उत्सव भी संपन्न होगा। महाधिवेशन का उद्घाटन २० दिसम्बर को पूर्वाहन १०-३० बजे बिहार के माननीय राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद खान करेंगे।

सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने यह जानकारी देते हुए बताया है कि दोनों दिनों के कार्यक्रम सुनिश्चित किए जा चुके हैं तथा नामित अलंकरणों से विभूषित किए जाने वाले विद्वानों और विदुषियों के चयन भी किए जा चुके हैं। यह महाधिवेशन सिख-पंथ के नवम गुरु और महान बलिदानी संत गुरु तेग बाहादुर जी के महा-बलिदान के ३५० वें वर्ष को समर्पित किया गया है। इस लिए प्रथम वैचारिक-सत्र का विषय 'गुरु तेग बहादुर का सांस्कृतिक और साहित्यिक अवदान' रखा गया है। अन्य सत्रों के विषय क्रमशः 'हिन्दी कथा-साहित्य में बिहार का योगदान', 'हिन्दी में विज्ञान साहित्य', 'आधुनिकता और नयी कविता', भारत के हिन्दीतर साहित्य के संवर्धन में हिन्दी', 'राष्ट्रभाषा आंदोलन की विधिक व्यवस्था तथा 'काव्य-साहित्य में बिहार का योगदान' निश्चित किए गए हैं। इन विषयों पर चर्चा में भागलेने वाले प्रमुख विद्वानों और विदुषियों में, महात्मा गांधी द्वारा स्थापित राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अध्यक्ष प्रो सूर्य प्रसाद दीक्षित, केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के निदेशक डा सुनील बाबूराव कुलकर्णी, पटना उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश न्यायमूर्ति डा अंशुमान, केंद्रीय हिन्दी विश्व विद्यालय, वर्धा के संकायाध्यक्ष डा अवधेश कुमार, अलीगढ़ के विद्वान डा दिनेश शर्मा, डा देवेंद्र देव मिर्जापुरी (मिर्ज़ापुर), डा सुशील कुमार 'साहित्येन्दु' (सुल्तानपुर), ईश्वर चंद्र विद्यावाचस्पति (संत कबीर नगर), डा राम दरश राय (गोरखपुर), डा लता चौहान (बेंगलुरु), बेबी कारफ़रमा (कोलकाता), डा वीणा मेदनी (बंगलुरु), डा गणशेटवार साईंनाथ नागनाथ (पुदुचेरी), ज्योति स्वरूप अग्निहोत्री (फ़र्रुख़ाबाद), डा शिवानन्द शुक्ल (राय बरेली) डा जंग बहादुर पाण्डेय (राँची) समेत कुल नब्बे विद्वानों और विदुषियों के नाम सम्मिलित हैं।

बुधवार की संध्या महाधिवेशन की तैयारी के प्रसंग में डा अनिल सुलभ की अध्यक्षता में, सम्मेलन की कार्यसमिति और स्वागत समिति के साथ अन्य उपसमितियों की अंतिम बैठक संपन्न हुई, जिसमें सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा उपेंद्रनाथ पाण्डेय, अर्थमंत्री कुमार अनुपम, संगठन मंत्री डा शालिनी पाण्डेय, लोक भाषा मंत्री डा पुष्पा जमुआर, प्रचार मंत्री विभा रानी श्रीवास्तव, प्रबंधमंत्री कृष्ण रंजन सिंह, किरण सिंह, सुजाता मिश्र, डा पूनम आनन्द, आराधना प्रसाद, डा सुमेधा पाठक, डा प्रियंवदा मिश्र, डा सुधा सिन्हा, डा अर्चना त्रिपाठी, डा ऋचा वर्मा, अनुभा गुप्ता, अनुपमा नाथ, डा विद्या चौधरी, सरिता सिन्हा, डा पंकज पाण्डेय, बाँके बिहारी साव, इंदु भूषण सहाय, प्रवीर पंकज, प्रेम लता सिंह राजपुत, रौली कुमारी, डा सुधा पाण्डेय, सूर्य प्रकाश उपाध्याय समेत सभी समितियों के अधिकारी और सदस्य उपस्थित थे।

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