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हिन्दी देश की किसी भी दूसरी भाषा का नहीं, केवल अंग्रेज़ी का स्थान चाहती है

हिन्दी देश की किसी भी दूसरी भाषा का नहीं, केवल अंग्रेज़ी का स्थान चाहती है

  • साहित्य सम्मेलन के ४४ वें महाधिवेशन के समापन पर साहित्यकारों ने कहा
  • पचास साहित्यकारों का किया गया सम्मान, हुआ विराट कवि-सम्मेलन

पटना, २१ दिसम्बर। हिन्दी देश के किसी भी दूसरी भाषा का नहीं, केवल अंग्रेज़ी का स्थान लेना चाहती है, जो वास्तव में हिन्दी का ही स्थान है। यह दुर्भाग्य और लज्जा का विषय है कि एक स्वतंत्र राष्ट्र में अब भी बहुत बड़े क्षेत्र में उस भाषा का शासन चल रहा है, जिसने देश को ग़ुलाम बना कर रखा था। वैश्विक-लज्जा के इस विषय से भारत को तभी मुक्ति मिलेगी, जब देश की एक भाषा, प्रत्येक नागरिक की बोली बन जाए। देश की कोई एक भाषा तो होनी ही चाहिए, जिसे पूरा देश जानता, समझता और प्रयोग कर सकता हो। इन विचारों और हिन्दी भारत की शीघ्र ही राष्ट्रभाषा बने, इस हेतु अविराम प्रयत्नशील रहने के संकल्प के साथ बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का दो दिवसीय ४४वाँ महाधिवेशन भव्यता के साथ संपन्न हो गया।

समापन-सह-सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि और राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग, बिहार के अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय कुमार ने कहा कि हिन्दी देश की राष्ट्रभाषा बने इस हेतु बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का प्रयास अत्यंत सराहनीय है। देश भर से आए प्रतिनिधियों ने इस प्रयास को बल दिया है। उन्हों ने देश के विभिन्न स्थानों से पधारे ५० मनीषी साहित्यकारों को बिहार के प्रणम्य और पुरोधा साहित्यकारों के नाम से नामित अलंकरणों से सम्मानित किया।

स्वागताध्यक्ष डा राजवर्धन आज़ाद ने सभी प्रतिनिधियों और अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया और कहा कि देश भर से सैकड़ों की संख्या में आए विद्वानों से यह महाधिवेशन गौरवान्वित हुआ और हिन्दी का एक बड़ा संदेश लेकर लोग अपने प्रदेश लौट रहे हैं।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कार्यसमिति और स्वागत समिति के सभी अधिकारियों और सदस्यों के प्रति आभार प्रकट किया, जिनके अथक और अनवरत श्रम से यह महाधिवेशन भव्य रूप में संपन्न हुआ। उन्होंने सभी प्रतिभागी साहित्यकारों से महाधिवेशन में लिए गए संकल्पों की पूर्ति हेतु, नई ऊर्जा के साथ सन्नद्ध होने का आह्वान किया।

बिहार के विकास आयुक्त मिहिर कुमार सिंह, केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के निदेशक डा सुनील बाबूराव कुलकर्णी, वरिष्ठ गीतकार पं बुद्धि नाथ मिश्र, सुविख्यात पत्रकार आशुतोष, भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी यशोवर्धन आज़ाद, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष अप्सरा, प्रो सविता झा तथा सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन डा शंकर प्रसाद ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन भगवती प्रसाद द्विवेदी ने किया।

पंचम वैचारिक सत्र
समापन समारोह के पूर्व महाधिवेशन के तीन वैचारिक-सत्र और एक विराट कवि-सम्मेलन भी संपन्न हुआ। आज का प्रथम और महाधिवेशन का पंचम वैचारिक सत्र का विषय था- “भारत के हिन्दीतर साहित्य के संवर्धन में हिन्दी"। सत्र की अध्यक्षता केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के निदेशक डा सुनील बाबूराव कुलकर्णी ने किया।
मुख्य वक्ता और महात्मा गांधी हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के मानविकी संक़ाय के अध्यक्ष प्रो अवधेश कुमार,बेंगलुरु की वरिष्ठ कवयित्री डा लता चौहान तथा डा सीमा यादव ने भी अपने पत्र प्रस्तुत किए। मंच का संचालन डा अर्चना त्रिपाठी ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया। सत्र की संयोजक थीं डा सुषमा कुमारी।


छठा वैचारिक सत्र
आज के दूसरे और महाधिवेशन के छठे वैचारिक सत्र का विषय था "राष्ट्रभाषा-आंदोलन की विधिक-व्यवस्था" । इस सत्र का उद्घाटन करते हुए पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डा अंशुमान ने कहा कि न्याय की भाषा जबतक प्रार्थी की भाषा नहीं होगी, उचित न्याय नहीं हो सकेगा। पटना उच्च न्यायालय ही क्या देश के सभी न्यायालयों में अधिवक्ताओं द्वारा हिन्दी अथवा स्थानीय भाषा में याचिकाएँ करनी चाहिए।
डा अवधेश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित इस सत्र में अधिवक्ता इन्द्रदेव प्रसाद तथा डा जयंत कर शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अतिथियों का स्वागत सम्मेलन के वरीय उपाध्यक्ष जियालाल आर्य ने किया।


सातवाँ वैचारिक सत्र
आज के अंतिम और सातवें सत्र, जिसका विषय "'काव्य-साहित्य में बिहार का योगदान" था, का उद्घाटन महाधिवेशन के स्वागताध्यक्ष और विधायक डा राजवर्द्धन आज़ाद ने किया। इस सत्र में बिहार् के यशस्वी राजनेता और महाकवि भागवत झा आज़ाद पर केंद्रीय वक्तव्य सुप्रसिद्ध पत्रकार आशुतोष ने दिया। उन्होंने कहा कि राजनीति मनुष्य को क्रूर, स्वार्थी और भ्रष्ट बनाती है। किंतु महाकवि आज़ाद ने अपने आचरण और लेखनी से यह सिद्ध किया कि यदि मनुष्य अपने जीवन को मानव-कल्याण के निमित्त अर्पित करता है, तो उसे राजनीति की कालिमा नहीं लग सकती। महाकवि विरचित महाकाव्य 'मृत्यंजयी' में, जो महात्मा बुद्ध पर केंद्रित है कवि ने अपने व्यापक दृष्टिकोण को अभिव्यक्त किया है। यह पुस्तक अद्भुत है।


भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और महाकवि के पुत्र यशोवर्धन आज़ाद की अध्यक्षता में आहूत इस सत्र में डा शंकर प्रसाद तथा डा सविता झा ने भी अपने पत्र प्रस्तुत किए।


विराट कवि सम्मेलन
वैचारिक सत्रों की समाप्ति के पश्चात, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के कवि पं बुद्धिनाथ मिश्र की अध्यक्षता में विराट कवि सम्मेलन आहूत हुआ, जिसका उद्घाटन बिहार के विकास आयुक्त मिहिर कुमार सिंह ने किया। कवि-सम्मेलन में देश के विभिन्न प्रांतों से आए दर्जनों कवियों और कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं से सम्मेलन को रस-सिकत किया। आज निम्नलिखित विदुषियों और विद्वानों को सम्मानित किया गया ;-


डा आरती सिंह : गोरखपुर : महीयसी डा मृदुला सिंहा स्मृति सम्मान
श्री अनुज बेचैन : औरंगाबाद : कविवर गोपाल सिंह 'नेपाली'सम्मान
डा रेणु मिश्रा : आरा : शांता सिन्हा स्मृति-सम्मान
डा रामदरश राय : गोरखपुर : पं रामदयाल पाण्डेय स्मृति सम्मान
श्रीमती गीता चौबे : बेंगलुरु : अंबालिका देवी सम्मान
डा अलका वर्मा : अररिया : डा उषा रानी 'दीन' स्मृति सम्मान
प्रो सुनीता सृष्टि : मुज़फ़्फ़रपुर : डा शांति जैन स्मृति सम्मान
डा दीपक कुमार : जहानाबाद : प्रो केसरी कुमार स्मृति सम्मान
डा अताउल्लाह खान आलवी : सासाराम : राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह सम्मान
मृत्यंजय मिश्र 'करुणेश' : देवरिया : डा श्यामनंदन किशोर स्मृति सम्मान
डा ममता मिश्र : आरा : डा शांति सुमन
डा बीरेन्द्र कुमार मल्लिक : मधुबनी : ब्रजनंदन सहाय 'ब्रजवल्लभ' सम्मान
डा लोकनाथ मिश्र : पूसा : पोद्दार रामावतार 'अरुण' सम्मान
डा रंजीता तिवारी : पटना : विदुषी बिन्दु सिन्हा स्मृति सम्मान
डा आशा तिवारी ओझा : भागलपुर : विदुषी गिरिजा वर्णवाल सम्मान
डा रेणु शर्मा 'राध्या' : वैशाली : प्रकाशवती नारायण सम्मान
डा अजय कुमार मीत : कटिहार : डा मुरलीधर श्रीवास्तव 'शेखर'सम्मान
डा संध्या रानी : चतरा : कुमारी राधा स्मृति सम्मान
श्री विनोद कुमार 'नैतिक' : कटिहार : पं राम दयाल पांडेय सम्मान
डा नवीन निकुंज : भागलपुर : डा परमानन्द पाण्डेय सम्मान
श्रीमती निर्मला कर्ण : राँची : रमणिका गुप्ता स्मृति सम्मान म्मान
श्री मुकुंद प्रकाश मिश्र : शिवहर : आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव स्मृति सम्मान
डा नागेंद्र कुमार शर्मा : पटना : बाबा नागार्जुन सम्मान
श्री उमेश मिश्र : पटना : प्रो मुरलीधर श्रीवास्तव 'शेखर' सम्मान
श्री देवेन्द्र सिंह आज़ाद : लखीसराय : डा रामप्रसाद सिंह लोक-साहित्यसम्मान
डा अजय कुमार : पटना : साहित्य सारथी बलभद्र कल्याण सम्मान
श्री रजनीश कुमार गौरव : सारण : पं प्रफुल्ल चंद्र ओझा 'मुक्त' सम्मान न
श्री अरविन्द कुमार भारती : लखीसराय : पं हंस कुमार तिवारी स्मृति सम्मान
डा शुभ कुमार वर्णवाल : बेनीपट्टी : डा कुमार विमल सम्मान
श्री आशीष सागर : बाँका : रघुवीर नारायण सम्मान
श्री राजेश कुमार यादव : मोहनियाँ : प्रो सीताराम सिंह 'दीन' स्मृति सम्मान
श्री अमित कुमार राय : बाँका : डा शैलेंद्रनाथ श्रीवास्तव स्मृति सम्मान
डा अजेय कुमार : विक्रम : प्रो मथुरा प्रसाद दीक्षित स्मृति सम्मान
डा मन्नू राय : सिवान : प्रो अमरनाथ सिन्हा स्मृति सम्मान
श्री संजय कुमार यादव : सिवान : साहित्यसारथी बलभद्र कल्याण सम्मान
डा कुमार विमलेन्दु सिंह : पटना : प्रो केसरी कुमार स्मृति सम्मान
श्री महेश्वर ओझा 'महेश' : बक्सर : पं जगन्नाथ प्रसाद मिश्र गौड़ 'कमल' सम्मान
श्री रक्षित राज : शिवहर : डा नरेश पाण्डेय 'चकोर' स्मृति सम्मान
'मीनू' मीना सिन्हा : राँची : डा सुलक्ष्मी कुमारी स्मृति-सम्मान
श्रीमती संगीता मिश्र : छपरा : विदुषी अनुपमानाथ स्मृति सम्मान
मोहम्मद मुमताज़ हसन : गया : पीर मुहम्मद मूनिस सम्मान
श्रीमती ज्योति मिश्र : भागलपुर : विदुषी शैलजा जयमाला स्मृति-सम्मान
डा सुमन लता : औरंगाबाद : किशोरी चतुर्वेदी स्मृति सम्मान
श्रीमती कंचन अपराजिता : टोकियो : डा वीणा कर्ण स्मृति सम्मान
डा विदुषी आमेटा : राजस्थान : विदुषी कुमुद शुक्ल स्मृति-सम्मान
आचार्य अनिमेष : पटना : डा चतुर्भुज स्मृति सम्मान
डा दीपाली कुमारी : वैशाली : निरोज सिन्हा स्मृति सम्मान
डा अनुपम शर्मा : सुल्तानपुर : राष्ट्रभाषा प्रहरी नृपेंद्रनाथ गुप्त सम्मान
सुश्री प्रियंका कुमारी : पटना : विनोदिनी शर्मा स्मृति-सम्मान डा संजय कुमार सिन्हा : 
बिहार शरीफ़ : आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव स्मृति सम्मान
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