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गणित भी थिरकती थी,रामानुजन के आगे

(राष्ट्रीय गणित दिवस_2025)

गणित भी थिरकती थी,रामानुजन के आगे

कुमार महेंद्र
बाईस दिसंबर अद्भुत अनुपम,
रामानुजन जयंती पावन बेला ।
गणित योगदान राष्ट्र स्मृति पटल,
प्रमेय समाधान भाव नवेला ।
शत शत नमन श्रीनिवास प्रतिभा,
संख्या सिद्धांत संग भाग्य जागे ।
गणित भी थिरकती थी,रामानुजन के आगे ।।


जीवन पथ संघर्षमय,
पर गणित प्रति प्रीत अनंत ।
अन्य विषय अरुचि छोर,
लगन साधना सदृश संत ।
गणित कठिनाई सहज सरस,
चुटकियों अंतर भय भागे ।
गणित भी थिरकती थी,रामानुजन के आगे ।।


संख्या ज्ञान अप्रतिम भूमिका,
मानवता उत्थान प्रयास ।
भिन्न अनंत श्रेणी महत्ता,
संख्या सिद्धांत बौद्धिक उल्लास ।
विश्लेषण संश्लेषण गहन स्तर,
अवांछित अनुप्रयोग नित्य त्यागे ।
गणित भी थिरकती थी,रामानुजन के आगे ।।


सकारात्मक सोच विकास,
गणित अधिगम क्षेत्र ध्येय ।
प्रेरणा आधार भावी पीढ़ी,
शोध अनुसंधान दिशा गेय।
गणित अठखेलियां सदा शीर्ष,
दैनिक जीवन नित उत्सव लागे।
गणित भी थिरकती थी,रामानुजन के आगे ।।


कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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