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मेरी हो..

मेरी हो..

सीने से लगाकर तुमसे 
बस इतना मुझे कहना है। 
की जिंदगी भर तुम
बाहों में अपनी रखना।। 

साँसों में तुम बसे हो 
दिल पर तुम छाये हो। 
धड़कनो में धड़क रहे हो
इसलिए तुम हो मेरी जान।। 

हूँ अगर खुश मेरी जान
तो ये एहसान तुम्हारा है। 
अब तो सच में ये दिल 
सदा के लिए तुम्हारा है।। 

आँखो में हरपल तेरी ही
तस्वीर दिखती रहती है। 
दिल दिमाग पर तू ही तू
हर पल छाई रहती है।। 

भूलकर भी मुझे छोड़ने का
तुम कभी इरादा मत करना। 
वरना मेरी मौत का पैग़ाम 
तुझे जल्दी मिल जायेगा।। 

देख नहीं सकता तुझे मैं
किसी और के बाहों में। 
क्योंकि मेरा दिल तेरे बिन
कही और लगता नही।। 

जय जिनेंद्र

संजय जैन "बीना" मुंबई

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