शब्दवीणा सृजन त्रिविधा: डॉ. रामसिंहासन सिंह के गीतों पर श्रोता हुए भावविभोर!

गया जी। राष्ट्रीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था 'शब्दवीणा' के साप्ताहिक कार्यक्रम "शब्दवीणा सृजन त्रिविधा" का गत अंक गया जी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रामसिंहासन सिंह के उत्कृष्ट गीतों से गूँज उठा, जिन्हें सुनकर देश भर से जुड़े श्रोता भावविभोर हो उठे। उनके साथ, शेरघाटी के कवि अजय कुमार वैद्य और आमस के कवि प्रवेश कुमार के गीतों को भी श्रोताओं से भरपूर सराहना मिली।
गीत की फसल हुई तैयार: डॉ. सिंह
बतौर प्रथम रचनाकार एवं कार्यक्रम अध्यक्ष, डॉ. रामसिंहासन सिंह ने उत्कृष्ट हिन्दी कविताओं के सृजन के लिए रस, छंद, अलंकार, प्रवाहशीलता, लयात्मकता और गेयता को आवश्यक तत्व बताया। उन्होंने अपने काव्य संग्रह "गीतों के दिन पुनः फिरेंगे" से एक खूबसूरत रचना पढ़ते हुए कहा:
"आज भले यह सूखी धरती। सूना व्योम निहारा करती। लेकिन ऐसे सूखे क्षण भी, निश्चय समझो करवट लेंगे। गीतों के दिन पुनः फिरेंगे।"
डॉ. सिंह के सुमधुर स्वर में प्रस्तुत गीत, जैसे "मैंने बोये बीज वर्ण के, फसल गीत की उग आयी रे" और "गगन से उतरी शरद, कर सोलहों श्रृंगार रे", श्रोताओं के बीच विशेष चर्चा का विषय बने। शब्दवीणा केन्द्रीय पेज से प्रसारित इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न भागों से जुड़े साहित्यानुरागी श्रोताओं ने उत्साहवर्द्धक समीक्षात्मक टिप्पणियाँ दीं।
भोजपुरी और नारी शक्ति का गायन
कवि अजय कुमार वैद्य ने अपने स्वरचित भोजपुरी गीत "काहे छुट्टी लेके बैठल बा तू घरवा ए बलम जी। कमाये खातिर घर से जाई बहरवा ए बलम जी" से श्रोताओं का मनोरंजन किया। नारी शक्ति पर उनकी कविता "सृष्टि का आरंभ है नारी, धरती का प्रारंभ है नारी" को भी खूब सराहना मिली।
प्रवेश कुमार ने लाडली बेटियों के लिए एक पिता के हृदयस्पर्शी भावों को अपनी कविता के माध्यम से प्रकट किया। उन्होंने मनमोहक गीत गाया: "तुमने लिया जनम तो घर में आईं बहारें। जी भर के सभी चाँद से मुखड़े को निहारे।"
नसीहतों के बवंडर पर प्रस्तुति
कार्यक्रम का संचालन कर रहीं कीर्ति यादव (शब्दवीणा सृजन त्रिविधा प्रभारी) ने अपनी प्रभावशाली प्रस्तुति से श्रोताओं का हृदय जीत लिया। उन्होंने परिस्थितियों को जाने-समझे बिना नसीहत देने वाले लोगों की अमानवीयता पर रचना सुनाई: "नसीहतों के बवंडरों में, भुक्तभोगी फँसा पड़ा है।"
कार्यक्रम का संयोजन शब्दवीणा की संस्थापिका एवं राष्ट्रीय अध्यक्षा प्रो. डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने किया। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण शब्दवीणा केन्द्रीय पेज से किया गया, जिसका आनंद महावीर सिंह वीर, डॉ. रवि प्रकाश, राम नाथ बेख़बर, कर्नल गोपाल अश्क सहित देश भर के अनेक साहित्यानुरागियों ने उठाया। सभी आमंत्रित रचनाकारों ने अपने खट्टे-मीठे साहित्यिक अनुभवों को भी इस मंच पर साझा किया।
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