Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

काइनेसियो टेपिंग क्षतिग्रस्त मांसपेशियों के इलाज के लिए वरदान - डॉ अमृत विश्वास

काइनेसियो टेपिंग क्षतिग्रस्त मांसपेशियों के इलाज के लिए वरदान - डॉ अमृत विश्वास

दिव्य रश्मि के उपसम्पादक जितेन्द्र कुमार सिन्हा की कलम से |

"स्प्लिंटिंग केवल किसी अंग को सहारा देने की तकनीक नहीं बल्कि एक विज्ञान और कला है। इसमें शरीर रचना (Anatomy), जैव यांत्रिकी (Biomechanic) और नैदानिक निर्णय (Clinical Reasoning) का सुंदर समन्वय होता है,जिसका उद्देश्य रोगी की कार्यक्षमता बढ़ाना, विकृतियों को रोकना और पुनर्वास को प्रोत्साहित करना है।" उक्त उद्गार बिहार कॉलेज ऑफ फिजियोथेरेपी एंड ऑक्यूपेशनल थेरेपी, विकलांग भवन अस्पताल ,कंकड़बाग पटना के सभागार में "विश्व ऑक्यूपेशनल थेरेपी एवं विश्व फिजियोथेरेपी दिवस "के अवसर पर आयोजित कार्यशाला में अहमदाबाद के डॉ दीपक गंजीवाले ने व्यक्त किए।


इस वर्ष फिजियोथेरेपी दिवस का थीम "HEALTHY AGEING" पर फोकस किया गया जबकि ऑक्यूपेशनल दिवस का थीम "OCCUPATIONAL THERAPY IN ACTION" पर फोकस किया गया।

सभी कार्यक्रम विकलांग भवन अस्पताल के सभागार में आयोजित किए गए। विकलांग भवन अस्पताल, पटना के विभागाध्यक्ष सह नियंत्रण अधिकारी डॉ किशोर कुमार , ऑक्यूपेशनल थेरेपी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रियदर्शी आलोक, फिजियोथेरेपी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मनोज कुमार, अहमदाबाद के डॉ दीपक गंजीवाले, दुर्गापुर ( पश्चिम बंगाल )के डॉ अमृत विश्वास , डॉ उदय कुमार, डॉ उमेश कुमार, डॉ ए के जायसवाल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।


डॉ किशोर कुमार ने स्वागत भाषण के माध्यम से दोनों विधाओं के महत्त्व को चिकित्सकों एवं कॉलेज के छात्र - छात्राओं को विस्तारपूर्वक समझाया। उन्होंने कॉलेज के छात्र-छात्राओं को विषम परिस्थितियों से लड़कर विजय प्राप्त करने का गुरुमंत्र बताया। उन्होंने चिकित्सकों को समर्पण, सेवा भाव और निष्ठा के साथ रोगियों का इलाज करने को कहा।साथ ही अपने कार्य के प्रति उन्हें ईमानदारी बरतने की भी नसीहत दी।


इसके बाद ऑक्यूपेशनल थेरेपी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रियदर्शी आलोक कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों को संबोधित करते हुए कहा कि स्प्लिंट का उपयोग मुख्य रूप से फ्रैक्चर,चोट या सर्जरी के बाद हड्डी और जोड़ों को स्थिर करने, दर्द से राहत दिलाने और आगे की क्षति को रोकने के लिए किया जाता है।यह घायल अंग को सहारा देता है , त्वचा और ऊत्तकों को चोट से बचाता है और सुरक्षित परिवहन में मदद करता है।यह किसी भी फ्रैक्चर,मोच या गंभीर खिंचाव जैसी चोटों के लिए एक शुरुआती उपचार है, जो दर्द से राहत देता है और स्थिति को गंभीर होने से रोकता है।


फिजियोथेरेपी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मनोज कुमार ने अपने अभिभाषण में कहा कि यह हमारे लिए बड़े गर्व की बात है कि सभी थेरेपिस्टों को अपने नाम के आगे डॉ लगाने के लिए impowered कर दिया गया है जो एक बड़ी उपलब्धि है। हमलोगों को इस उपाधि के सम्मान को बरकरार रखने के लिए अपने कार्य के प्रति समर्पण एवं निष्ठा का भाव रखना होगा। Kinesio taping हमारे शरीर के क्षतिग्रस्त मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है और आगे की चोट से बचाव करता है।यह दर्द में राहत देता है, सूजन को कम करता है एवं जकड़न को कम करता है।साथ ही साथ क्षतिग्रस्त मांसपेशियों के सुधार में सहायक सिद्ध होता है।


कार्यशाला के पहले सत्र की शुरुआत दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल ) के डॉ अमृत विश्वास द्वारा "Kinesio Sports Taping " विषय पर एक कार्यशाला आयोजित कर की गई जिसमें काइनेसियो स्पोर्ट्स टेपिंग के महत्त्व को बताया गया। प्रैक्टिकल के द्वारा टेपिंग करने के तरीकों से चिकित्सकों एवं कॉलेज के छात्र - छात्राओं को अवगत कराया गया उन्होंने बताया कि Kinesio Taping क्षतिग्रस्त मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है और आगे की चोट से बचाव करता है।यह दर्द में राहत पहुंचाता है।सूजन को कम करने के साथ ही जकड़न को कम करता है।साथ ही साथ क्षतिग्रस्त मांसपेशियों के सुधार में भी सहायक होता है।


विश्व फिजियोथेरेपी एवं विश्व ऑक्यूपेशनल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बिहार कॉलेज ऑफ फिजियोथेरेपी एंड ऑक्यूपेशनल थेरेपी, विकलांग भवन अस्पताल के विभागाध्यक्ष सह नियंत्रण अधिकारी डॉ किशोर कुमार एवं डॉ दीपक गंजीवाले ने संयुक्त रूप से मीडिया प्रभारी श्री जितेन्द्र कुमार सिन्हा को पुष्पगुच्छ एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया। शैक्षणिक प्रभारी डॉ ए के जायसवाल और और डॉ दीपक गंजीवाले ने पत्रकार सुरेन्द्र कुमार रंजन को संयुक्त रूप से पुष्पगुच्छ एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया ।


द्वितीय सत्र में डॉ दीपक गंजीवाले द्वारा " Low Cost Wire Splinting" विषय पर एक कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें उपस्थित चिकित्सकों और कॉलेज के छात्र-छात्राओं को कम खर्च में घरेलू चीजों से स्प्लिंट बनाने की विधि को प्रैक्टिकल करके बताया गया। इसका प्रयोग किस तरह से किया जाए इसकी भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बाजार में बिकने वाले महंगे स्प्लिंट की जगह घरेलू सामानों से कम लागत में आरामदायक और टिकाऊ स्प्लिंट बनाकर गरीब और लाचार रोगियों को फायदा पहुंचाया जा सकता है। उन्होंने Low Cost Wire Splinting के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत जैसे देश में अधिकांश रोगी निजी स्प्लिंटिंग सेवाओं या महंगे मटेरियल का खर्च नहीं उठा पाते। ऐसे में थर्मोकोल, अल्युमिनियम शीट,PVC पाइप, कार्डबोर्ड,लोकल थर्मोप्लास्टिक मटेरियल और पुनः उपयोग योग्य फैब्रिकेशन मटेरियल से तैयार स्प्लिंट न केवल सस्ता समाधान देते हैं बल्कि स्थानीय स्तर पर तुरंत उपलब्ध भी होते हैं। मेरा मानना है कि स्प्लिंट की कीमत नहीं बल्कि उसका प्रभाव महत्त्वपूर्ण होता है। यदि एक साधारण और सस्ता स्प्लिंट किसी व्यक्ति को काम करने, लिखने या स्वतंत्र रूप से चलने में मदद करता है तो यही हमारे पेशे की सबसे बड़ी सफलता है।


धन्यवाद ज्ञापन करते हुए शैक्षणिक प्रभारी डॉ अभय कुमार जायसवाल ने कहा कि बिहार फिजियोथेरेपी एवं ऑक्यूपेशनल थेरेपी कॉलेज की ओर से इस अत्यंत ज्ञानवर्धक और व्यावहारिक कार्यशाला का सफल समापन करते हुए अत्यंत प्रसन्नता और गौरव का अनुभव कर रहा हूं। सबसे पहले हमारा हार्दिक आभार हमारे सम्मानित वक्ता डॉ अमृत विश्वास और डॉ दीपक गंजीवाले को जाता है जिन्होंने काइनेसियो स्पोर्टस टेपिंग और कम लागत वाली वायर स्प्लिंटिंग पर सफल कार्यशाला आयोजित करके हमारे चिकित्सकों और कॉलेज के छात्र - छात्राओं को लाभान्वित किया।


इसके बाद, मैं डॉ. किशोर कुमार, विभागाध्यक्ष सह नियंत्रण अधिकारी, बी.सी.पी.ओ. के प्रति आभार व्यक्त करता हूं,जिन्होंने कार्यशालाओं के आयोजन में निरंतर प्रोत्साहन और सहयोग दिया। व्यावसायिक चिकित्सा विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रियदर्शी आलोक, फिजियोथेरेपी विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार और बिहार फिजियोथेरेपी एवं व्यावसायिक चिकित्सा महाविद्यालय के समस्त संकाय को भी जिन्होंने कार्यशाला को सफल बनाने में अपना बहुमूल्य समय और सहयोग दिया, उनका मैं तहे दिल से आभारी हूं। अंत में सभी प्रतिभागियों ,हमारे छात्रों, प्रशिक्षुओं और पेशेवरों का धन्यवाद करता हूँ जिनके उत्साह, सक्रिय भागीदारी और विचारशील प्रश्नों ने इस कार्यशाला को संवादात्मक, समृद्ध और सचमुच सार्थक बना दिया।


"जो कह दिया वो शब्द थे,
जो नहीं कह सके वो अनुभुति थी,
जो कहना था मगर कह नहीं सके
वह बस हमारी मर्यादा थी ।"


मंच संचालन डॉ इमरान हुसैन और डॉ नोमान परवेज ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ प्रियदर्शी आलोक, डॉ मनोज कुमार,डॉ उदय कुमार, डॉ आर सी विद्यार्थी, डॉ उमेश कुमार,सहित अन्य चिकित्सकों एवं कॉलेज के छात्र - छात्राओं ने अहम् भूमिका निभाई।


हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ