"तर्क की महत्ता, तकरार से दूरी"
पंकज शर्मा
प्रिय मित्रों यह उद्धरण मानव जीवन के दो महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालता है : तर्क एवं तकरार। तर्क वह बौद्धिक क्रिया है जो हमारी बुद्धि को पैनी बनाती है, जैसे एक जौहरी अपने उपकरण को धार देता है। यह विचार-विनिमय, ज्ञानार्जन एवं समस्या-समाधान का आधार है। तर्क-वितर्क अवश्य करें, क्योंकि यह मनन की प्रक्रिया को समृद्ध करता है एवं हमारी समझ के क्षितिज का विस्तार करता है।
किंतु, तकरार एक अति विध्वंसक शक्ति है। जहाँ तर्क मस्तिष्क को उन्नत करता है, वहीं तकरार हमारे कोमलतम संबंधों को विदीर्ण कर देती है। जिस प्रेम एवं विश्वास से रिश्ते सींचे जाते हैं, तकरार की कटुता उन्हें क्षण भर में धूमिल कर देती है। अतः, हमें संवाद में तर्क की गरिमा को बनाए रखना चाहिए एवं तकरार की विषैली छाया से अपने सामाजिक एवं पारिवारिक ताने-बाने को सदैव सुरक्षित रखना चाहिए। बुद्धि की उन्नति के लिए तर्क करें, रिश्तों की शांति हेतु तकरार से विरत रहें।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा
(कमल सनातनी)
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