Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

संविधान दिवस: लोकतंत्र की रीढ़ और मूल्यों की रक्षा का संकल्प

संविधान दिवस: लोकतंत्र की रीढ़ और मूल्यों की रक्षा का संकल्प

सत्येन्द्र कुमार पाठक
जहानाबाद । : हर वर्ष 26 नवंबर को मनाया जाने वाला संविधान दिवस भारत के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। यह वह पावन तिथि है जब भारत ने आधिकारिक तौर पर अपने संविधान को अंगीकार किया था। जीवन धारा नमामी गंगे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने संविधान दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसे नागरिकों के लिए संविधान में निहित मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा का दिन बताया। संविधान दिवस, जिसे "संविधान दिवस" भी कहा जाता है, हमारे संविधान के गठन और इसे बनाने वाले महान नेताओं के योगदान का सम्मान करता है। 26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाना, भारत के उपनिवेशवादी कानून व्यवस्था से अपनी स्वयं की शासन व्यवस्था की ओर बड़े बदलाव का प्रतीक था। यह दिन देश की लोकतंत्र, न्याय और कानून के शासन के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।भारत सरकार अधिनियम 1935 के बाद, यह स्पष्ट हो गया था कि एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए भारत को अपने स्पष्ट नियमों की आवश्यकता है। इसी लक्ष्य के साथ, दिसंबर 1946 में संविधान सभा का गठन हुआ। डॉ. राजेंद्र प्रसाद इसके अध्यक्ष चुने गए। इस सभा में डॉ. बी.आर. अंबेडकर, सरदार पटेल, और जवाहरलाल नेहरू जैसे 389 प्रमुख नेता शामिल थे। डॉ. अंबेडकर को संविधान का मसौदा तैयार करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लगभग 2 साल 11 महीने की अथक मेहनत के बाद, 1948 में मसौदा प्रस्तुत किया गया। ग्यारह सत्रों में विस्तृत चर्चा के बाद, संविधान को 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया। इसके बाद, 26 जनवरी 1950 से यह पूरी तरह लागू हुआ, जिसे हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते है। संविधान दिवस हमें संविधान सभा की दूरदर्शिता और उन सिद्धांतों की याद दिलाता है जो भारत को एक मजबूत लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ाते हैं। इस अवसर पर, श्री पाठक ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान राष्ट्र की रीढ़ है, जो भारत की संस्कृतियों, भाषाओं और समुदायों की विविधता को कुशलतापूर्वक एक साथ पिरोता है। उन्होंने वर्तमान संदर्भ पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, "जब लोकतंत्र दांव पर हो, धर्मनिरपेक्षता खतरे में हो और संघवाद को ध्वस्त किया जा रहा हो, तो लोगों को संविधान द्वारा प्रदत्त मूल्यवान मार्गदर्शन की रक्षा करनी चाहिए।" उन्होंने कहा कि आज के दिन हमें अपने संविधान में निहित मूल लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि करनी चाहिए और उन पवित्र सिद्धांतों की सतर्कतापूर्वक रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए जो हमें एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित और बनाए रखते हैं।भारत सरकार ने वर्ष 2015 से इस दिन को संविधान को अंगीकार किए जाने के उपलक्ष्य में संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया। यह दिवस हमें देश के प्रत्येक नागरिक के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांतों को सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करता है।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ