युवाशक्ति
तुम हो भारत के जवान ,जो है दुनिया में महान ।
तेरा ही यह है युवाशक्ति ,
निज शक्ति तू पहचान ।।
बनी रहे युवाशक्ति तेरी ,
भारत का तुम पे नाज है ।
लगा लो उसपे निशाना ,
जो नभ उड़ता बाज है ।।
तुम भारत के युवाशक्ति ,
सख्त जरूरत आज है ।
उड़ रहे हैं धरती के पक्षी ,
जो पंख बने जालसाज हैं ।।
पहचान कर आतंकवादी ,
जो बने हुए यहीं राज हैं ।
मरहम लगा दूर करो इन्हें ,
ये राष्ट्र के खुजली खाज हैं ।।
जिसका हैं ये खाना खाते ,
उसी पर गिराते ये गाज हैं ।
तुम्हीं भारत के युवाशक्ति ,
तव शीश रक्षा के ताज हैं ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
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