Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

फूलों से गर प्यार बहुत है

फूलों से गर प्यार बहुत है|

डॉ. मेधाव्रत शर्मा, डी•लिट•
(पूर्व यू.प्रोफेसर)

फूलों से गर प्यार बहुत है,काँटों को तो सहना होगा।
परबत के ही दर्देदिल को आबशार हो बहना होगा ।
सात घूँट भागवतकथाऽमृत भी पीनेवाले को तो,
तक्षक के सम्मेकातिल से जलना ही जलना होगा।
तवारीख को चले बदलने अपनी काली लगग़्वियात से,
थूकेगा मुस्तक़्बिल,दुनिया का मख़ौल भी सहना होगा।
अक्लोकलम का सौदा करने वालो होश सँभालो,
आज उड़ा लो गुलछर्रे,कल तो जुरमाना भरना होगा।
कुद्रत का आईन बख़ूबी सख़्तोरासिख़ बेमेहर,
ख़म्याज़ा जाली करतूतों का बेबाक भुगतना होगा।


(सम्मेकातिल =बहुत ही सख्त विष। मुस्तक़्बिल =भविष्य। आईन =विधान। सख्तोरासिख बेमेहर =कठोर,अटल और निर्मम। खम्याजा =करनी का फल।लगग़्वियात से =झूठों से। )






हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ