कार्तिक मास में किए गए व्रत और दीपदान को स्वयं देवता स्वीकार करते हैं - आचार्य डा.चंद्रभूषण

हरिद्वार, 3 नवम्बर। भूपतवाला स्थित सुदर्शन कुटीर के आचार्य डा.चंद्रभूषण ने कहा कि भगवान विष्णु को समर्पित कार्तिक मास अत्यंत पवित्र है। भक्तों को संबोधित करते हुए आचार्य डा.चंद्रभूषण ने कहा कि शास्त्रों में बताया गया है कि कार्तिक मास के समान कोई महीना नहीं, सतयुग के समान कोई युग नहीं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं है। कार्तिक मास में किए गए सभी शुभ कार्य स्नान, दान, व्रत और दीपदान देवताओं द्वारा स्वयं स्वीकार किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि सावन में भगवान शिव को सृष्टि का भार सौंपकर क्षीर सागर में योग निद्रा पर जाने के बाद भगवान विष्णु कार्तिक मास में जागते हैं और सृष्टि संचालन का दायित्व पुनः संभालते हैं। भक्तों को संबोधित करते हुए आचार्य डा.चंद्रभूषण ने कहा कि कार्तिक मास में गगा स्नान, दीपदान और तुलसी पूजा का विशेष महत्व है। पवित्र कार्तिक मास में गंगा स्नान, दान, व्रत और सात्विक भोजन करने से जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। परिवार में सुख समद्धि का वास होता है। आचार्य डा.चंद्रभूषण ने बताया कि कार्तिक मास को दामोदर मास के नाम से भी जाना जाता है। भगवान विष्णु को तुलसी अत्यन्त प्रिय है। कार्तिक मास में सुबह-शाम तुलसी के समक्ष दीपक जलाने से पुण्य मिलता है। कार्तिक पूर्णिमा को तुलसी विवाह का आयोजन करने से भगवान नारायण अत्यन्त प्रसन्न होते हैं।
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