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जीबीएम कॉलेज में 'वंदे मातरम्' गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने पर स्मरणोत्सव का हुआ आयोजन।

जीबीएम कॉलेज में 'वंदे मातरम्' गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने पर स्मरणोत्सव का हुआ आयोजन।

  • एनएसएस स्वयंसेवकों, एनसीसी कैडेटों एवं समस्त महाविद्यालय परिवार ने सस्वर एक साथ गाया वंदे मातरम् गीत
  • वंदे मातरम् गीत गाकर मातृभूमि के प्रति असीम श्रद्धा, भक्ति और समर्पण के भावों से भर जाता है हमारा मन

गया जी। गौतम बुद्ध महिला कॉलेज में एनएनएस इकाई एवं एनसीसी इकाई के संयुक्त तत्वावधान में भारत के राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम्' के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में "वंदे मातरम्" गीत स्मरणोत्सव का आयोजन हुआ। एमयू बोधगया एवं प्रधानाचार्या डॉ सीमा पटेल से प्राप्त निर्देश के अनुसार कॉलेज की एनएसएस स्वयंसेवकों, एनसीसी कैडेटों, सभी विभागों की छात्राओं, प्राध्यापकों, प्राध्यापिकाओं एवं शिक्षकेतर कर्मियों ने एक साथ, एक स्वर में देशभक्ति के भावों से ओतप्रोत होकर "वंदे मातरम्" राष्ट्रीय गीत गाया। एनएसएस वालेंटियर्स एवं एनसीसी कैडेटों ने जोश के साथ "वंदे मातरम्", "जय हिन्द, जय भारत", "भारत माता की जय हो" के नारे लगाए। कार्यक्रम का संचालन एवं समन्वयन एनएसएस प्रोग्राम अॉफिसर डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने किया। डॉ रश्मि ने वंदे मातरम् गीत के इतिहास एवं महत्व पर सविस्तार प्रकाश डालते हुए कहा कि 'वंदे मातरम्' गीत में मातृभूमि को एक कल्याणमयी देवी के रूप में चित्रित किया गया है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दरम्यान वंदे मातरम् गीत ने स्वतंत्रता सेनानियों एवं सभी देशवासियों के हृदय में देशप्रेम, राष्ट्रीय गौरव एवं एकता की मशाल जलाने का कार्य किया था। आज भी जब हम यह राष्ट्रीय गीत गाते हैं, तो हमारा मन मातृभूमि के प्रति असीम श्रद्धा, भक्ति और समर्पण के भावों से भर जाता है।

"वंदे मातरम्" गीत की रचना बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने 7 नवंबर, 1875 को की थी। यह गीत 1882 में बंकिम चंद्र चटोपाध्याय के प्रसिद्ध उपन्यास "आनंदमठ" में प्रथम बार प्रकाशित हुआ था। 24 जनवरी 1950 को भारत की संविधान सभा ने "वंदे मातरम्" गीत को भारतीय गणराज्य के राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया था। भारत के राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने गीत को भारत के राष्ट्रगान "जन गण मन" के समतुल्य सम्मान दिये जाने की बात कही थी। संस्कृतनिष्ठ शैली में रचित इस गीत में बंगाली भाषा का भी प्रभाव देखा जा सकता है। मंचासीन प्रोफेसर इन्चार्ज अफशां सुरैया एवं नैक समन्वयक डॉ शगुफ्ता अंसारी ने इस स्मरणोत्सव को अविस्मरणीय बताते हुए समस्त महाविद्यालय परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं दीं।

कार्यक्रम में एनसीसी सीटीओ डॉ नगमा शादाब, सेहत केन्द्र की एनओ डॉ प्रियंका कुमारी, परीक्षा प्रभारी डॉ प्यारे माँझी, डॉ जया चौधरी, डॉ पूजा, डॉ अमृता कुमारी घोष, डॉ पूजा राय, डॉ अनामिका कुमारी, डॉ कृति सिंह आनंद, डॉ रुखसाना परवीन, डॉ सुरबाला कृष्णा, डॉ सुनीता कुमारी, डॉ विजेता लाल, डॉ वीणा कुमारी जायसवाल, डॉ फातिमा, डॉ अफशां नाहिद, डॉ शबाना परवीन हुसैन, प्रीति शेखर, डॉ शुचि सिन्हा, डॉ सीता, डॉ प्रमिला कुमारी, डॉ दीपिका, डॉ सपना पांडेय, डॉ आशुतोश कुमार पांडेय, डॉ गणेश प्रसाद, डॉ रानी कुमारी, डॉ वीणा कुमारी, डॉ अमृता कुमारी, डॉ किरण कुमारी, अभिषेक कुमार, नीरज कुमार, रौशन कुमार, सुनील कुमार, रंजीत कुमार, शैली पाठक, दीपशिखा मिश्रा, श्रुति सिंह, मुस्कान सिन्हा, आँचल, मुस्कान एवं अनेक छात्राओं की उपस्थिति रही।

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