भारतीय सांस्कृतिक पर्व दीपावली
दुर्गेश मोहन
दीप + आवली दीपावली जिसका शाब्दिक अर्थ है _दीपों की पंक्ति अर्थात् दीपों का त्योहार ।इस पर्व की शोभा अति निराली होती है। चतुर्दिक दिशाओं में दीपों से सजा हुआ दृश्य लोगों के नेत्रों को मनोहर लगता है एवं बरबस अपनी ओर आकर्षित कर लेता है ।
भारत के अंदर मनाए जाने वाले पर्वों में प्रमुख है _दीपावली। जीवन में दुःखों को भुलाकर मनुष्य एक साथ बैठकर वार्तालाप कर सके और गा सके। इन्हीं सब प्रवृत्तियां ने मिलकर त्योहार को जन्म दिया ।यह शरद काल का मुख्य त्योहार है। यह हिंदुओं का एक प्रधान त्योहार है। दीपावली के पर्व के साथ हम लोगों की अनेक ऐतिहासिक तथा धार्मिक परंपराएं जुड़ी हुई हैं। भगवान रामचंद्र 14 वर्षों के वनवास के पश्चात अत्याचारी एवं दुराचारी रावण का वध करके भाई लक्ष्मण तथा जगत जननी सीता के साथ अयोध्या लौटे इसी खुशी में अयोध्यावासी घर-घर में पूड़ी और पकवान बनाए एवं रात्रि में दीपावली का त्योहार धूमधाम से मनाई गई ,तभी से राम के अयोध्या में लौटने एवं राम राज्य के प्रारंभ होने की तथा पाप के ऊपर पुण्य की विजय की पुनीत स्मृति में यह उत्सव भारत में प्रतिवर्ष मनाया जाने लगा।राक्षस नरकासुर का वध भगवान श्रीकृष्ण द्वारा किया गया ,इस वध के दूसरे दिन दीपावली हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। नरकासुर के वध के दिन ही श्रीकृष्ण ने इंद्र के कोप से डूबते हुए ब्रज वासियों की गोवर्धन पर्वत को धारण करके रक्षा की थी ।राजा बलि की दानशीलता देखकर देवलोक कंपित हो उठा और देवताओं ने राजा बलि की परीक्षा के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की। राजा बलि की परीक्षा लेने के लिए भगवान गए और तीन पद वसुधा की याचना की और तीन पद में ही तीनों लोक नाप लिए। वामनावतार विष्णु ने बलि के भूदान से प्रसन्न होकर यह वरदान दिया कि भूलोकवासी उसकी स्मृति में दीपावली का पवित्र उत्सव मनाया करेंगे ।असुरों का वध करने के पश्चात ही जब महामाया काली का क्रोध शांत ना हुआ और वह संसार का संहार करने के लिए कृत संकल्पित हो गईं, तब संपूर्ण संसार में हाहाकार मच गया। संसार की रक्षा के लिए शंकर स्वयं उसके चरणों में जाकर लेट गए। क्रोधोन्मत्त महामाया इनके वक्ष स्थल पर सवार हो गईं। शिव के तपोमय शरीर के स्पर्श मात्र से ही महाकाली का क्रोध शांत हो गया और संसार संहार होने से बच गया। जनश्रुति है कि इसी प्रसन्नता में दीपावली का उत्सव मनाया जाता है।
खेतों में फसल कट कर जब घर आ जाती, किसान फूले नहीं समाते और अपने हृदय में खुशियों के अगणित दीप जलाकर प्रकट करता है ।इस दिन दीए जलाए जाते हैं ,खुशियां मनाई जाती हैं ।यह पर्व स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी उचित है। वर्षा ऋतु में हमारे घर सील हो जाते हैं ,चारों ओर गंदगी फैल जाती है ।उससे मुक्ति हेतु लोग इस पर्व में सफाई एवं रंग_ रोगन करते हैं। पटाखे ,फुलझड़ी छोड़ते हैं। दीपावली के दिन व्यापारी भी लक्ष्मी_ गणेश की पूजा करते हैं। इस दिन से नए बही खाता चलाते हैं ।ऐसी आस्था है कि लक्ष्मी बरकत देगी। निष्ठा एवं श्रद्धा का पर्व दीवाली खुशीपूर्वक मनाई जाती है ।रात्रि में मां काली की भी पूजा _अर्चना का विधान है। दीपावली कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है ।दो दिन पूर्व धनतेरस मनाया जाता है। इस दिन नए बर्तन खरीदने की परंपरा है। दीपावली की रात्रि में लक्ष्मी _गणेश पूजन की प्रधानता है ।ऐसी आस्था है कि लक्ष्मी इस रात्रि में अवश्य मेरे घर आएंगी। रात्रि में मां काली की भी पूजा_अर्चना का विधान है।इसी खुशी में यह पर्व सदियों से मनाई जा रही है। इस पर्व में लोग जुआ खेलते हैं ,जो बिल्कुल अनुचित कार्य है ।ऐसा नहीं करना चाहिए। इस पर्व के शुभ अवसर पर कहीं-कहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किए जाते हैं। मेले भी लगते हैं।दीपावली अंधकार पर प्रकाश का,पाप पर पुण्य का,बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है ।इसलिए यह पर्व चार चांद लगा देती है ।समाज के लिए प्रेरणा लेकर आती है कि हमें भी काली, लक्ष्मी ,राम ,गणेश आदि के सही बताए मार्गों पर चलकर समाज के कल्याण की गाथा को अक्षुण्ण रखने का प्रयत्न करना चाहिए ,तभी जीवन सार्थक होगा।
दुर्गेश मोहन बिहटा ,पटना (बिहार)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com