ग्रेटर नोएडा में सामवेद पर्यावरण यज्ञ हुआ संपन्न :

- सारा संस्कृत साहित्य ज्ञान का एकमात्र आदि स्रोत
ग्रेटर नोएडा। यहां स्थित सेक्टर सिग्मा में चले तीन दिवसीय सामवेद पारायण यज्ञ में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि सारा संस्कृत साहित्य ज्ञान का एकमात्र आदि स्रोत है। उन्होंने कहा कि संसार का जितना भर भी ज्ञान है वह बीज रूप में वेदों में समाहित है।
उन्होंने कहा कि जो लोग यह कहते हैं कि संस्कृत में ज्ञान विज्ञान नहीं है, उनके बारे में समझना चाहिए कि वह संस्कृत के बारे में कुछ भी नहीं जानते। संस्कृत विरोधी संस्कृति विरोधी बन जाता है और जो संस्कृति विरोधी होता है वही देशद्रोही बन जाता है। इस अवसर पर सभी आर्य जनों ने विद्यालयों के पाठ्यक्रम में वैदिक शिक्षा संस्कार और नैतिक शिक्षा आदि लागू करने संबंधी एक प्रस्ताव भी पारित किया।

उन्होंने कहा कि दहेज एक ऐसा दानव है जो समाज में बेटियों को रोज निगल रहा है। यदि समाज के 10 जागरूक लोग इमानदारी से सामने आ जाएं तो निश्चित रूप से इस दानव को पराजित किया जा सकता है।
आर्य प्रतिनिधि सभा के संरक्षक श्री देवेन्द्र सिंह आर्य ने कहा कि वेद के एक-एक मंत्र की व्याख्या करते-करते अध्याय नहीं पुस्तकें लिखी जा सकती हैं। यह तभी संभव है जब वेद ज्ञान का आदि स्त्रोत माना है। आज का भौतिक विज्ञान हो, चाहे राजनीतिक ,सामाजिक ,आर्थिक क्षेत्र में चल रही विकास की प्रक्रिया हो सभी क्षेत्रों में वेद का ही ज्ञान हमारा मार्गदर्शन कर रहा है। इसीलिए भारत के वेद ज्ञान की पश्चिमी जगत के सभी विद्वानों ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की है।
भाषा प्रचारिणी सभा के जिला अध्यक्ष आर्य सागर ने इस अवसर पर कहा कि संसार की सभी भाषाओं की जननी संस्कृत है। संस्कृत का एक-एक शब्द व्याकरण और विज्ञान पर आधारित है। अकेला संस्कृत साहित्य ही ऐसा है जिसके एक-एक अक्षर में मंत्र बनने की क्षमता है। इसलिए यह कहना संस्कृत में ज्ञान विज्ञान नहीं है, मूर्खता की पराकाष्ठा है। उन्होंने कहा कि सारा वैदिक साहित्य जीवन दर्शन,समाज दर्शन और राष्ट्र दर्शन से भरा हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन के अंतरराष्ट्रीय संयोजक धर्मपाल आर्य में इस अवसर पर सभी आर्यजनों को सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया और बताया कि उपरोक्त कार्यक्रम ऐतिहासिक रूप से संपन्न होगा। जिसमें देश से लोग पधार रहे हैं।
कार्यक्रम में उपस्थित रहीं विदुषी सविता आर्या ने कहा कि वैदिक साहित्य वेद, उपनिषद, दर्शन, स्मृतियों आदि से भरा हुआ है, जीवन की एक भी विधा और विद्या ऐसी नहीं है जो इसमें संपूर्णता के साथ समाविष्ट न हो। संसार में जितनी फिर भी भाषा इस समय प्रचलन में हैं वे सारी की सारी संस्कृत की जूठन से विकसित हुई हैं।
कार्यक्रम में डॉ वीरपाल विद्यालंकार, देवमुनि जी महाराज ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में सरपंच रामेश्वर सिंह, प्रिंसिपल नरपत सिंह, विजेंद्र सिंह आर्य, कमल सिंह आर्य, महावीर सिंह आर्य, किशन लाल आर्य, अजय कुमार आर्य, ब्रह्म प्रकाश आर्य,मांगेराम आर्य, ज्ञानेंद्र सिंह आर्य, नवाब सिंह आर्य, महाशय जगमाल सिंह आदि भी उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम के ब्रह्मा राजकुमार शास्त्री और कार्यक्रम के संयोजक योगाचार्य प्रताप सिंह आर्य, ईश्वर पहलवान प्रमुख व उनका परिवार रहा। श्री प्रताप सिंह आर्य ने सभी उपस्थित अतिथियों का वाचिक सत्कार किया और अंत में धन्यवाद भी ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि उनका परिवार इस प्रकार के धार्मिक आयोजन भविष्य में भी करता रहेगा।
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