जो लोग अपने धर्म पर अभिमान नहीं करते,
डॉ अ कीर्तिवर्धन
जो लोग अपनी संस्कृति का मान नहीं करते।
राष्ट्र की खातिर, क्या सर कटायेंगे कमीने,
जो लोग माँ-बाप का, सम्मान नहीं करते।
धर्म मतलब अनुशासन, बात समझ लें,
संस्कार मतलब नियम, बात समझ लें।
सभ्यता-संस्कृति, पुरखों की विरासत है,
सभ्य आचरण का पालन, बात समझ लें।
क्या होती है धर्मनिरपेक्षता, कोई बता दे,
किस शब्दावली लिखा अर्थ, कोई बता दे?
जाते हैं जो चर्च और मस्जिद में प्रतिदिन,
धर्मनिरपेक्षता की बातें, उन्हें कोई बता दे।
कहते हैं सब हिन्दू, धर्मनिरपेक्ष हो जाओ,
अपनी संस्कृति से सब, निस्तेज हो जाओ।
हिन्दू करता मान, सभी धर्मों का फिर भी,
हमसे ही कहते हैं सब, खामोश हो जाओ।
लुटती अस्मत बहन बेटियों की भारी है,
धर्मान्तरण का खेल, अभी भी जारी है।
नहीं किया ध्यान, अगर खेल पर तुमने,
भारत में अलग राष्ट्र निर्माण की तैयारी है।
इस्लामाबाद के पक्षधर भी आगे आये हैं,
इस्लामी बने मुल्क, अभियान चलाये हैं।
वंश वृद्धि- आतंकवाद भी, एक कड़ी है,
हिंदुत्व पर हमला, इसे मिटाने आये हैं।
आओ मोदी और हेमन्त, आगे आओ तुम,
अमित चाणक्य, चंद्रगुप्त बन जाओ तुम।
हिंदुत्व में धर्म का मतलब मानवता है,
संस्कारवान भारत, लक्ष्य बनाओ तुम।
राष्ट्र का अपमान कर रहे जो संसद में,
तुष्टिकरण की बात कर रहे, संसद में।
ऐसे देश द्रोही गद्दारों को बेनकाब करो,
धर्मनिरपेक्षता का अर्थ बता दो संसद में।
कटते रहे शीश जवानों के सरहद पर,
उफ़ न कर पायें, बेटी की अस्मत पर।
ऐसे लोगो को संसद से बाहर निकालो,
राजनाथ! विजय रथ अभियान सँभालो।
कोई कृष्ण, कोई अर्जुन सा बन जाओ,
कोई नकुल सहदेव, भीम सा बन जाओ।
आतंकित है राष्ट्र, फिर धृतराष्ट्र पुत्रों से,
कौरव कुल का नाश, धर्म ध्वज फहराओ।
जिसने फूंका रामभक्तों को, ट्रेनों के अन्दर,
84 के दंगों में सिखों पर अत्याचार भयंकर।
सीधी सच्ची बात, सबक सिखा दो उनको,
सत्ता में आसीन रहे जो, षडयंत्र रच रचकर।
खेल रहे कुछ खेल, भेदभाव का प्रतिदिन,
आतंकवादी निर्दोष बताते, दिन प्रतिदिन।
खेल घिनौना चल रहा, राष्ट्र बचाना होगा,
आदित्य नाथ! तुमको भी आगे आना होगा।
स्वराज का अर्थ रेखा जी, सबको बतलायेंगी,
सोते हुए सिंह पुत्रों को करके सजग जगाएँगी।
चक्रव्यूह भेदन का राज, जयशंकर समझायेगे,
रण क्षेत्र में सेना की ताकत,अहसास करायेंगे।
बनना होगा लौह पुरुष, बस डोभाल जी तुमको,
बिखरा जाति धर्म में हिन्दू, एक बनाना तुमको।
भारत हिन्दू राष्ट्र, ‘नरेंद्र’ ने उदघोष किया था,
यही बात नरेंदर भाई, दोहरानी होगी तुमको।
हिंदी का परचम, विश्व पटल पर फहराना होगा,
अंग्रेजी का विष,"शंकर” बनकर पी जाना होगा।
जनसंख्या विस्फोट समस्या, देश में बड़ी सघन है,
नियम कानून बना, हमको यह सुलझाना होगा।
कारगिल में विजय धवज, फहराया सेना ने,
पोखरण में परमाणु विस्फोट किया अटल ने।
हम सबको आज अटल जैसा बन जाना होगा,
सम्पूर्ण विश्व पर विजय धवज फहराना होगा।
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